आयुष मंत्रालय ने रविवार, 22 नवंबर को भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन) अमेंडमेंट रेग्युलेशन्स 2020 को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है. हाल ही में इसका नोटिफिकेशन जारी हुआ था.
मंत्रालय ने कहा है कि नोटिफिकेशन 58 स्पेसिफाइड सर्जिकल प्रक्रियाओं से संबंधित है और यह शल्य और शालाक्य पोस्ट ग्रेजुएट्स को किसी और सर्जरी की अनुमति नहीं देता.
यह स्पष्टीकरण उन मीडिया रिपोर्ट्स के बाद आया है, जिनमें पूरी जानकारी दिए बिना कहा जा रहा था कि सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को भी सर्जरी के अधिकार दे दिए हैं.
मंत्रालय ने बताया है कि नोटिफिकेशन किसी भी नीतिगत बदलाव का संकेत नहीं देता है. उसने कहा है, ''यह 2016 के नियमों में प्रासंगिक प्रावधानों का स्पष्टीकरण है. शुरुआत से ही, शल्य और शालाक्य आयुर्वेद कॉलेज में स्वतंत्र विभाग हैं, जो ऐसी सर्जिकल प्रक्रियाएं करते हैं.''
स्पष्टीकरण में कहा गया है, ''मंत्रालय को नोटिफिकेशन में मॉडर्न टर्मिनोलॉजी के इस्तेमाल के बारे में कोई टिप्पणी या आपत्ति नहीं मिली है, और इसलिए किसी भी विवाद के बारे में पता नहीं है...कोई भी व्यक्ति विशेष या ग्रुप इन टर्मिनोलॉजी को लेकर एकाधिकार नहीं रखता है.''
मंत्रालय ने कहा है, ‘’परंपरागत (आधुनिक) चिकित्सा के साथ आयुर्वेद के “मिश्रण” का सवाल यहां नहीं उठता क्योंकि सीसीआईएम (सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसन) भारतीय चिकित्सा पद्धति की प्रमाणिकता को बनाए रखने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध है, और ऐसे किसी भी “मिश्रण” के खिलाफ है.
नोटिफिकेशन में क्या कहा गया है?
19 नवंबर 2020 की तारीख वाले नोटिफिकेशन में कहा गया है, ''भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद , केंद्र सरकार की स्वीकृति के साथ भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन) रेग्युलेशन्स, 2016 में निम्नलिखित रेग्युलेशन्स बनाते हुए आगे और संशोधन करती है.''
इसके अलावा नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ''अध्ययन अवधि के दौरान शल्य और शालाक्य के पोस्ट ग्रेजुएट स्कॉलर को व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वह अपनी डिग्री पूरी करने के बाद निम्नलिखिति प्रक्रियाओं को स्वतंत्र रूप से करने में सक्षम हो सके. नोटिफिकेशन में इसके नीचे शल्य और शालाक्य से संबंधित प्रक्रियाएं लिखी हुई हैं.''
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