अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. आरोपियों में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और 29 अन्य शामिल थे.
आरोपियों को बरी करने का फैसला स्पेशल सीबीआई जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सुनाया है. एनडीटीवी के मुताबिक, इस फैसले की 5 बड़ी बातें ये हैं:
- बाबरी मस्जिद का ढहाया जाना पहले से नियोजित नहीं था
- आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं
- सीबीआई की ओर से दिए गए ऑडियो, वीडियो की प्रामाणिकता साबित नहीं की जा सकती
- असामाजिक तत्वों ने ढांचा गिराने की कोशिश की थी, आरोपी नेताओं ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी
- स्पीच का ऑडियो स्पष्ट नहीं है
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, जज ने अपने फैसले में कहा है कि 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे पर पीछे से दोपहर 12 बजे पथराव शुरू हुआ था, अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं. कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था. जज ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना और कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं हैं.
बता दें कि 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले को लेकर रायबरेली की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही को लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया था.
इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा और विष्णु हरि डालमिया पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया था. 31 मई 2017 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अभियोजन की कार्यवाही शुरू हुई थी. 16 सितंबर 2020 को अदालत ने 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाने की बात कही थी.
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