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बाबरी विध्वंस मामला: 30 सितंबर को फैसला, आडवाणी-जोशी रहेंगे मौजूद

सीबीआई कोर्ट में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने को लेकर फैसला

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अयोध्या में बाबरी विध्वंस मामले में अब कई सालों बात आखिरकार कोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रहा है. सीबीआई कोर्ट ने बताया है कि 30 सितंबर को बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाया जाएगा. जब कोर्ट अपना फैसला सुना रहा होगा, उस दौरान इस केस के सभी मुख्य आरोपी भी कोर्ट में मौजूद रहेंगे. जिनमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे नाम शामिल हैं.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई की स्पेशल कोर्ट को कहा था कि वो 30 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुनाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई कोर्ट इस मामले का ट्रायल जल्द से जल्द खत्म कर इस तारीख तक फैसला सुना दे. वहीं साल 2017 में भी इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई करने और दो साल में फैसला देने को कहा था.

इस मामले को लेकर सीबीआई कोर्ट ने कई बार आरोपी लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत अन्य आरोपियों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया. साथ ही कई घंटों तक बीजेपी के इन सीनियर नेताओं से पूछताछ भी हुई. 

क्या है पूरा मामला?

6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी ढांचे को गिरा दिया और वहां एक अस्थायी मंदिर बना दिया गया. उसी दिन इस मामले को लेकर दो एफआईआर दर्ज हुईं. पहला अपराध संख्या 197/1992 और दूसरा 198/1992. एफआईआर नंबर 197 हजारों कारसेवकों के खिलाफ दर्ज की गई थी और उन पर डकैती, लूट-पाट, चोट पहुंचाने, सार्वजनिक इबादत की जगह को नुकसान पहुंचाने, धर्म के आधार पर दो गुटों में शत्रुता बढ़ाने जैसे आरोप लगाए गए.

वहीं एफआईआर 198 बीजेपी, वीएचपी, बजरंग दल और आरएसएस से जुड़े 8 लोगों के खिलाफ राम कथा कुंज सभा मंच से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दर्ज की गई. इस एफआईआर में बीजेपी के वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी, अशोक सिंघल, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतंबरा, मुरली मनोहर जोशी, गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया के नाम शामिल हैं. इन आठ आरोपियों में अशोक सिंघल और गिरिराज किशोर की मौत हो चुकी है. एफआईआर में आइपीसी की धारा 153-ए,153-बी और धारा 505 के तहत आरोप लगाए गए.

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