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यूपीः SOG ने स्मैक बेचने के शक में उठाया, दिया थर्ड डिग्री टॉर्चर

बहराइच SOG टीम पर पीड़ित के परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

Published
भारत
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उत्तर प्रदेश के बहराइच से पुलिस का बर्बर चेहरा सामने आया है. यहां स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने शक के आधार पर एक शख्स को रास्ते से उठा लिया. बाद में उसे छोड़ने के लिए पुलिस ने परिजनों से पांच लाख रुपये की घूस मांगी. जब परिवार पैसे नहीं दे पाया तो पीड़ित को अज्ञात जगह पर ले जाकर एसओजी ने थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया.

जानकारी के मुताबिक, बहराइच SOG ने शक के आधार पर आशु मियां नाम के एक शख्स को रास्ते से अगवा कर लिया और उसे छोड़ने के लिये 5 लाख रुपये घूस की मांग की गई. पीड़ित परिजनों का आरोप है कि जब घूस की रकम पुलिस वालों को नहीं मिली तो आशु मियां को किसी गुप्त स्थान पर बंद करके थर्ड डिग्री का टार्चर किया गया.

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क्या है पूरा मामला?

जानकारी के मुताबिक, आशु मियां उर्फ जमील अहमद (28) थाना रूपइडीहा इलाके के मुस्लिमबाग में रहते हैं. परिजनों की मानें तो पीड़ित लंबे समय से टीबी का मरीज है. वो शनिवार को बहराइच दवा लेने आया हुआ था कि तभी एसओजी की टीम ने उसको स्मैक तस्करी के शक में गिरफ्तार कर लिया.

परिजनों के मुताबिक, पुलिस ने कस्टडी के दौरान पीड़ित को थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया, जिससे उसकी हालत खराब हो गई.

बहराइच SOG टीम पर क्या है आरोप?

परिजनों ने आरोप लगाया कि एसओजी ने हिरासत के दौरान पीड़ित को करंट लगाकर मारने की भी कोशिश की. SOG की पिटाई से युवक की हालत नाजुक हो गई है, जिसे गंभीर अवस्था में लखनऊ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है.

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SOG प्रभारी लाइन हाजिर

मामले की जानकारी देते हुए एसपी बहराइच डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जा रही है दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

मीडिया के माध्यम से और गोपनीय रूप से ये जानकारी मिली थी कि एक व्यक्ति जो रुपइडीहा का रहने वाला है. वो इस समय लखनऊ केजीएमसी में भर्ती है. संभवतः उसे पुलिस टीम द्वारा हिरासत में लिया गया था. इस बात की जानकारी होते ही एडीशनल एसपी को इसकी जांच सौंपी गई है. वो सभी पहलुओं की जांच करेंगे. जांच को निष्पक्ष रखते हुए एसओजी प्रभारी को लाइन भेज दिया गया है. 
डॉ. गौरव ग्रोवर, पुलिस अधीक्षक, बहराइच

घटना की भनक लगते ही SP बहराइच डॉ. गौरव ग्रोवर ने SOG टीम के प्रभारी आर.पी यादव को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया है, जबकि टीम के सिपाहियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इस मामले की जांच पुलिस अधीक्षक ने ASP रवींद्र कुमार सिंह को सौंपी है.

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