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बालासोर रेल हादसा: कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से कैसे उतरी? रेलवे ने बताई पूरी कहानी

Balasore train accident: ट्रेन दुर्घटनाओं में से अब तक 288 लोग मारे गए और 900 से अधिक घायल हो गए हैं.

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ओडिशा के बालासोर में 2 जून की शाम दुर्घटनास्थल पर मौजूद मालगाड़ी के शामिल होने को लेकर असमंजस के बीच रेलवे ने शनिवार (3 जून) को कहा कि चेन्नई की ओर जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express) पहले पटरी से उतर गई और उसके कुछ डिब्बे बगल के ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गए. उसी समय सामने से आ रही एसएमवीपी-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी आकर टकरा गई.

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कैसे हुआ बालसोर रेल हादसा?

रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि मेन अप लाइन से गुजरने वाली 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस (शालीमार-मद्रास) बहानगा बाजार स्टेशन पर पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गई और उसके कुछ डिब्बे लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गए.

अधिकारी ने कहा कि दुर्घटना के समय कोरोमंडल एक्सप्रेस बहनागा बाजार स्टेशन पर अपनी पूरी गति से चल रही थी, क्योंकि उसे वहां रुकना नहीं था.

कुल 23 डिब्बे पटरी से उतरे

अधिकारी ने कहा, हालांकि, दुर्घटना का असर इतना था कि इसके 21 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिनमें से तीन डाउन लाइन पर चले गए, जिस पर एसएमवीपी-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस आ रही थी, जो टकरा गई और इस ट्रेन के भी दो डिब्बे पटरी से उतर गए.

कोरोमंडल का इंजन मालगाड़ी के डिब्बे से टकराया

दुर्घटना को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी, क्योंकि दुर्घटना के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन स्थिर मालगाड़ी के एक डिब्बे से जा टकराया.

दशकों बाद हुए सबसे घातक ट्रेन दुर्घटनाओं में से अब तक 288 लोग मारे गए और 900 से अधिक घायल हो गए. लगभग 40 लोग गंभीर रूप से घायल हैं, इसलिए मृतकों की संख्या बढ़ सकती है.

'कवच' प्रणाली से लैस नहीं थी दोनों ट्रेन

यह स्पष्ट नहीं है कि दुर्घटना का कारण क्या था, क्योंकि सूत्रों ने संभावित सिग्नलिंग की विफलता का संकेत दिया. कुछ अधिकारियों ने नाम न जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि दुर्घटनाग्रस्त दोनों ट्रेनें 'कवच' प्रणाली से लैस नहीं थीं.

'कवच' का क्या काम?

कवच लोको पायलट को अलर्ट करता है, ताकि वह ब्रेक पर नियंत्रण कर सके और ट्रेन को निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन को नोटिस करने पर ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक सकता है.

शनिवार सुबह दुर्घटनास्थल का दौरा करने वाले रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेल सुरक्षा आयुक्त द्वारा स्वतंत्र जांच के अलावा एक उच्चस्तरीय जांच की जाएगी.

रेल हादसे की जांच शुरू

रेलवे ने गहन जांच शुरू कर दी है, जो फिलहाल चल रही है. अधिकारियों ने कहा कि ओडिशा के बालासोर में ट्रेन दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच की अगुवाई रेलवे के दक्षिण-पूर्व सर्कल के सुरक्षा आयुक्त ए.एम. चौधरी करेंगे.

इस बीच, दुर्घटना-स्थल पर बचाव अभियान पूरा कर लिया गया है और ट्रेनों की बहाली का काम शुरू हो गया है.

कब हुए इतने बड़े रेल हादसे

ओडिशा में शुक्रवार की दुर्घटना ने 1995 में हुए फिरोजाबाद ट्रेन हादसे की याद दिला दी. 20 अगस्त, 1995 को उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस के बीच टक्कर हुई थी, जिसमें लगभग 358 लोगों की जान चली गई थी.

इसी तरह की एक दुर्घटना में 2 अगस्त, 1999 को ब्रह्मपुत्र मेल असम में गैसल के पास अवध-असम एक्सप्रेस से टकरा गई थी, जिसमें लगभग 290 लोगों की जान चली गई थी.

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