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बरेली में दो समुदायों के बीच तनाव के बाद घरों के बाहर लिखा- "यह मकान बिकाऊ है"

बरेली में 30 जुलाई को कांवड़ यात्रा निकालने को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव की स्थिती पैदा हो गई थी.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली (Bareilly) में मुस्लिम बहुल इलाके से जबरदस्ती कांवड़ यात्रा निकालने के मामले में विवाद के बाद कई लोगों ने अपने घर बेचने का मन बना लिया है. करीब दर्जन भर घरों के बाहर लोगों ने "ये मकान बिकाऊ है' लिख दिया है. लोगों का कहना है कि इससे पहले इलाके में ऐसी स्थिती नहीं हुई थी, लेकिन अब माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है.

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'ये मकान बिकाऊ है'

बरेली में बवाल के बाद जोगी नवादा इलाके में लोगों ने घरों के बाहर अपनी दीवारों पर लिख लिया है कि मकान बिकाऊ है. ऐसा एक-दो नहीं, बल्कि इलाके के कम से कम दर्जन भर मकानों के बाहर लिखा है. लोगों में डर और दहशत इस कदर है कि वे अब अपनी मेहनत की कमाई से बनाया घर बेचकर जाने को मजबूर हैं.

एक बुजुर्ग महिला सरबरी बेगम ने कहा कि...

मेरी इतनी बड़ी उम्र हो गई, "इस दरवाजे के सामने से आज तक एक भी कांवड़िया कभी नहीं निकला, लेकिन अब हमारे घरों, मस्जिदों में मरघटों की मट्टियां फेंक रहे हैं, दंगे कर रहे हैं."
सरबरी बेगम, स्थानीय निवासी

रेहान नाम के स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि इलाके के लोग अपना मकान बेच रहे हैं...

"यहां लोग परेशान हैं. आज तक कोई कांवड़ यात्रा यहां से नहीं निकली थी, लेकिन अब ये यहीं से निकाल रहे हैं. बच्चे डर गए हैं, सहम गए हैं, स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. लोग घरों के बाहर नहीं निकल रहे हैं. लड़कियों को कमेंट किए जा रहे हैं. रात में लोग सो नहीं पा रहे. सबको अपनी जान का डर है."
रेहान, स्थानीय निवासी

बरेली में क्या हुआ था? 

उत्तर प्रदेश के बरेली में 30 जुलाई को कांवड़ यात्रा निकालने को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव की स्थिती पैदा हो गई थी. कांवड़िया बदायूं से गंगाजल लेने जा रहे थे, बरदारी इलाके में दोपहर के वक्त उन्होंने रूट बदलने की कोशिश की और मुस्लिम बहुल इलाके से निकालने की जिद करने लगे.

तत्कालीन SSP प्रभाकर चौधरी के मुताबिक इस रूट की इजाजत नहीं थी. मुस्लिम समुदाय के लोग इसका विरोध करने लगे और करीब 1 घंटे धरने पर बैठ रहे. उस दौरान तत्कालीन SSP प्रभाकर चौधरी ने मीडिया को बताया था कि...

"उनकी आक्रामकता को देखते हुए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा. कांवड़ियों को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वे करीब छह घंटे तक अड़े रहे. प्रशासन ने उन्हें मनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उन्होंने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ असभ्य नारे लगाये. उनके पास असलहे होने की भी सूचना मिली."
प्रभाकर चौधरी, तत्कालीन SSP, बरेली

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