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"सादे कपड़ों में राइफल, कुल्हाड़ी लेकर आए 2 हमलावर" बठिंडा फायरिंग FIR में खुलासा

Bathinda military station Firing: फायरिंग में 4 जवानों की मौत, सबकी उम्र 25 साल से भी कम थी

Published
भारत
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पंजाब (Punjab) के बठिंडा (Bathinda attack) सैन्य स्टेशन में बुधवार, 12 अप्रैल की तड़के सुबह हुई फायरिंग की घटना में सेना के चार जवान शहीद हो गए. पंजाब पुलिस और इंडियन आर्मी, साथ मिलकर मामले की जांच कर रही है. पुलिस ने कहा कि अब तक मिली जानकारी के अनुसार यह घटना कोई आतंकवादी घटना नहीं थी.

फायरिंग की यह घटना सुबह करीब 4:30 बजे एक मेस के पीछे बैरक के पास हुई. हमले के वक्त चारों जवान सो रहे थे. इंडियन आर्मी (Indian Army) ने कहा कि उसने त्वरित प्रतिक्रिया दलों को तैनात किया और इलाके को घेर लिया है.

भारतीय सेना और पुलिस की संयुक्त जांच जारी 

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने इस मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जानकारी दी है. पुलिस जांच का नेतृत्व कर रहे बठिंडा के पुलिस अधीक्षक (डिटेटक्टिव) अजय गांधी ने संवाददाताओं को बताया कि घटनास्थल से इंसास राइफल के 19 खाली खोखे मिले हैं.

सेना के एक जवान के हवाले से पुलिस अधीक्षक (डिटेटक्टिव) अजय गांधी ने कहा कि

"सादी वर्दी में दो लोगों ने गोलियां चलाईं. घटनास्थल से इंसास राइफल के 19 खाली खोखे मिले हैं"

उन्होंने कहा कि शहीद जवानों की पहचान सागर बन्ने (25), कमलेश आर (24), योगेश कुमार जे (24) और संतोष एम नागराल (25) के रूप में हुई है.

उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज को स्कैन किया जा रहा है और सेना एक घेराव और तलाशी अभियान चला रही है और पूरे इलाके को छान मारा गया है.

गुम INSAS रायफल बरामद

इंडियन आर्मी का कहना है कि बठिंडा मिलिट्री स्टेशन फायरिंग की घटना में सर्च टीम को मैगजीन के साथ वो INSAS रायफल बरामद हो गयी है जो हमले के पहले से गायब थी. सेना और पुलिस की संयुक्त टीमें अब और जानकारी हासिल करने के लिए हथियार का फोरेंसिक विश्लेषण करेंगी. पंजाब पुलिस के साथ संयुक्त जांच जारी है. हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है.

हालांकि, पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्हें अभी भी इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि किसने गोली चलाई और मामले की जांच की जा रही है.

अजय गांधी ने कहा, "हमारी जांच सैन्य पुलिस के साथ संयुक्त रूप से चल रही है."

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यह आतंकवादी घटना नहीं -  पुलिस 

बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गुलनीत सिंह खुराना ने शाम को कहा, 'अभी तक जो जानकारी हमें मिली है, उसके अनुसार यह स्पष्ट है कि यह आतंकवादी घटना नहीं है.'

इससे पहले दिन में खुराना ने घटना का जिक्र करते हुए कहा था, 'यह एक आंतरिक मामला है, गहन जांच चल रही है."

यह पूछे जाने पर कि क्या इस घटना को लापता राइफल से जोड़ा जा सकता है?

अजय गांधी ने कहा, "हम जांच कर रहे हैं कि कोई लिंक है या नहीं." पत्रकारों से बात करते हुए, बठिंडा पुलिस स्टेशन कैंट स्टेशन हाउस ऑफिसर गुरदीप सिंह ने कहा कि इस घटना के सिलसिले में अब तक किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है.

यह पूछे जाने पर कि गोली किसने चलाई, उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. यह पूछे जाने पर कि क्या प्राथमिकी दर्ज की गई है, थानाध्यक्ष ने कहा, हम एफआईआर दर्ज कराएंगे.

एफआईआर में क्या लिखा? 

मेजर आशुतोष शुक्ला द्वारा दी गई एफआईआर में लिखा है कि,"आज सुबह 4:30 बजे गनर देसाई मोहन (21018990K) ने मुझे बताया कि यूनिट मेस बैरक के अंदर फायरिंग हुई और सफेद कुर्ता पायजामा पहने 2 अज्ञात व्यक्ति अपने चेहरे को ढके हुए (नकाबपोश) बैरक से मेस के सामने से बाहर आते देखे गए, जिसमें सेना के बंदूकधारी सो रहे थे.

2 अज्ञात व्यक्तियों में से एक के दाहिने हाथ में इंसास रायफल और दूसरे के हाथ में कुल्हाड़ी थी. वे स्वस्थ थे और मध्यम कद के थे.

उन्होंने मेरी ओर देखा और बैरक के बाईं ओर जंगल की ओर भाग निकले, जिसके बाद मैं और कैप्टन शांतनु घटना स्थल पर पहुंचे."

घटना की जानकारी देते हुए उन्होंने आगे बताया कि, "जब हम इमारत की पहली मंजिल पर गए, तो हमने गनर सागर बी और योगेश के खून से लथपथ शव देखे. दूसरे कमरे में हमने खून से लथपथ संतोष और कमलेश के शव भी देखे.

निरीक्षण करने पर, हमने उनके शरीर पर गोलियों के घाव और उनके शरीर के बगल में इंसास राइफल के ढेर सारे खाली कारतूस देखे; कारतूस इंसास राइफल के हैं, जो राइफल बट नंबर 77 दिनांक 31-3-2023 थी, और हमारे विश्वविद्यालय से लांस नायक मुपडी हारिस के नाम से जारी थी. जिन्होंने 9-4-2023 को रायफल गुम होने की जानकारी दी थी. इसको लेकर जांच चल रही है."

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