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बाटला हाउस एनकाउंटर: कोर्ट ने आरोपी आरिज खान को दोषी करार दिया

आरिज खान को साल 2018 में नेपाल से गिरफ्तार किया गया था

Published
भारत
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दिल्ली के चर्चित बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में कोर्ट ने आरोपी आरिज खान को दोषी करार दिया है. आरिज खान पर आरोप था कि उसने साल 2008 में हुए बाटला एनकाउंटर के दौरान इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा पर गोली चलाई थी, जिसमें उनकी मौत हो गई. बता दें कि आरिज खान को साल 2018 में स्पेशल सेल ने नेपाल से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से उसके खिलाफ मुकदमा चल रहा था. तमाम सुनवाईयों के बाद अब आखिरकार कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.

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15 मार्च को सजा पर होगा विचार

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने उसे इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में दोषी करार दिया है. फिलहाल सजा का ऐलान नहीं हुआ है, अब 15 मार्च को कोर्ट में दोषी आरिज खान को सजा सुनाए जाने को लेकर विचार किया जाएगा.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने कहा कि आरिज खान ने अपने साथियों के साथ, जानबूझकर इनकाउंटर स्पेस्लिस्ट और इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या कर दी और हेड कांस्टेबल बलवंत सिंह और राजबीर सिंह को चोट पहुंचाई. जज ने कहा, “आरिज खान को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया.”
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आरिज खान को भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 333, 353, 302, 307, 174 (ए) और 34 के तहत और आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत दोषी ठहराया गया है.

बाटला हाउस में क्या हुआ था?

दरअसल दिल्ली में साल 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद पुलिस की कई टीमें तैयार की गई थीं. ब्लास्ट के बाद से ही आतंकियों की तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही थी, तभी 19 सितंबर 2008 को पुलिस को सूचना मिलती है कि कुछ संदिग्ध बाटला हाउस के एक मकान में छिपे हैं. इसके बाद तुरंत पुलिस की एक टीम तैयार की गई. इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा भी इस टीम का हिस्सा थे. हालांकि पुलिस टीम को ये पता नहीं था कि बिल्डिंग में आतंकी छिपे हैं और हथियारों से लैस हैं. इसीलिए पुलिस की टीम एक प्राइवेट गाड़ी में सवार होकर बाटला हाउस पहुंची.

पुलिस के बिल्डिंग में घुसने के बाद से वहां फायरिंग शुरू हो गई. काफी देर तक हुई फायरिंग में इंडियन मुजाहिदीन के दो संदिग्ध आतंकवादी मारे गए, साथ ही इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की भी मौत हो गई. इसी दौरान आरिज खान वहां से किसी तरह फरार हो गया और नेपाल भाग गया.

बता दें कि ये एनकाउंटर इतना चर्चित इसलिए भी है, क्योंकि इसके बाद पुलिस पर भी कई सवाल उठाए गए थे. एनकाउंटर को कई नेताओं ने खुलकर फर्जी करार दे दिया था. हालांकि कोर्ट में ये साबित नहीं हो पाया. जिसके बाद इस एनकाउंटर पर फिल्म भी बनाई गई.

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