30 नवंबर का दिन ‘अंतरिक्ष विज्ञान’ की दुनिया में अहम होने जा रहा है. इस दिन न केवल लोग पूर्णिमा के चांद का दीदार करेंगे, बल्कि पेनुब्रल ग्रहण भी देख पाएंगे. आज साल की आखिरी पूर्णिमा है.
नवंबर में पड़ने वाली पूर्णिमा (Full Moon) को बीवर मून भी कहा जाता है. भारत में इसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.
उत्तर और दक्षिण अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के कुछ हिस्सों में इस ऐतिहासिक पल को देखा जा सकता है, लेकिन भारत में लोग इसका दीदार नहीं कर पाएंगे. पूर्णिमा सोमवार को केवल कुछ पलों के लिए अपनी पूरी खूबसूरती में होगा, लेकिन ये तीनों दिन- शनिवार रात से मंगलवार सुबह तक, पूर्ण रहेगा.
क्यों कहा जाता है बीवर मून?
पूर्णिमा को उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में बीवर मून कहा जाता है, क्योंकि ये तब दिखाई देता है जब बीवर जानवर सर्दियों के लिए खाने का इंतजाम कर वापस अपने बिलों में घुसते हैं. ये इस हिस्से में फर ट्रेड का भी समय होता है, जब हंटर्स बीवर के फर के लिए उनका शिकार करते हैं.
नवंबर की पूर्णिमा को दुनिया के दूसरे हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसे कार्तिक पूर्णिमा, कार्तिक दीपम, फ्रॉस्ट मून, कोल्ड मून, विंटर मून, चाइल्ड मून और तजाउंगडाइंग फेस्टिवल मून के नामों से भी जाना जाता है.
पेनुब्रल ग्रहण क्या होता है?
पेनुब्रल ग्रहण, पू्र्ण या अर्ध ग्रहण से अलग होता है. सोमवार को पूर्णिमा से कुछ समय पहले चंद्र ग्रहण लगेगा.
लाइव साइंस वेबसाइट के मुताबिक, पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान, पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच सीधे गुजरता है, जो हमारे प्राकृतिक उपग्रह तक सूरज की रोशनी को पहुंचने से रोकता है. इसके विपरीत, एक आंशिक या अर्ध ग्रहण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी की आंतरिक अंधेरी छाया के हिस्से से होकर गुजरता है, जिसे umbra के रूप में जाना जाता है. वहीं, पेनुब्रल ग्रहण में, चंद्रमा पृथ्वी के बाहरी भाग से होकर गुजरता है
किन देशों में देख पाएंगे लोग?
इंडियन स्टैंडर्ड टाइम के मुताबिक, ये ग्रहण दोपहर 1.04 बजे शुरू होकर शाम 5.22 बजे खत्म होगा. इस दौरान चांद का 83% हिस्सा धरती की छाया में छिपा रहेगा. हालांकि, भारत में लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाएंगे.
लीमा, पेरू ये ग्रहण देखने वाले पहले देश होंगे. दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी इसे देख पाएंगे.
अगला चंद्र ग्रहण 26 मई, 2021 को दिखाई देगा. ये पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा.
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