“भारत में कोविड महामारी के बीच नरेंद्र मोदी अहम राज्यों के चुनाव हारे”
“महामारी के बीच मोदी की पार्टी चुनाव हारी; भारत में रिकॉर्ड मौतें”
“भारत: मोदी की सत्तारूढ़ बीजेपी पश्चिम बंगाल का महत्वपूर्ण चुनाव हारी”
ये वो कुछ हेडलाइन हैं,जो अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने पश्चिम बंगाल समेत देश के चार राज्यों और एक केंद्र शासित क्षेत्र में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे पर लिखी हैं.
देश से लेकर विदेशी मीडिया में भारत में हुए विधानसभा चुनावों और उसके नतीजों पर चर्चे हैं. कहीं बीजेपी की हार तो कहीं कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच चुनाव कराने, रैलियां करने को लेकर काफी आलोचना हो रही है.
न्यू यॉर्क टाइम्स, द गार्डियन, अलजजीरा, वॉशिंगटन पोस्ट, बीबीसी सभी ने बंगाल चुनाव पर अपनी खास नजर रखी है और ये बात उनकी कवरेज में भी झलक रही है.
चलिए, कुछ बड़े अंतरराष्ट्रीय अखबारों और मीडिया संस्थानों की रिपोर्टिंग के एक हिस्से पर नजर दौड़ाते हैं:
“महामारी के बीच मोदी की पार्टी चुनाव हारी; भारत में रिकॉर्ड मौतें”
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि रविवार को भारत में राज्य के चुनावों के लिए काउंटिंग हो रही थी तब इसी बीच कोविड-19 से भारत में 3,689 लोगों की जान चली गई. अखबार लिखता है,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने में कई व्यापक प्रचार रैलियों का आयोजन किया, जिसमें पश्चिम बंगाल के हजारों लोग शामिल हुए, जहां उनकी भारतीय जनता पार्टी, एक विपक्षी पार्टी के साथ करीबी दौड़ में थी. मोदी और उनके शक्तिशाली डिप्टी अमित शाह ने बंगाल में 50 से अधिक रैलियों को संबोधित किया.
अखबार ने लिखा है कि यह यह स्पष्ट है कि मोदी की पार्टी बुरी तरह से चुनावी हार गई. बीजेपी दो अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में भी हार गई. बीजेपी सिर्फ असम में सत्ता बचाए रखने में कामयाब हुई है.
“भारत में कोविड -19 संकट ने मोदी की ताकत वाली छवि को हिला दिया”
अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि कुछ हफ्ते पहले, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक नेताओं को दावा किया था कि उनके राष्ट्र ने कोरोनोवायरस पर विजय प्राप्त कर ली है. और भारत ने "प्रभावी रूप से कोरोना से मानवता को बचाया है." लेकिन अब, एक दूसरी लहर ने भारत को दुनिया का सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना दिया है.
अखबार लिखता है कि संक्रमण बढ़ने के साथ, नरेंद्र मोदी ने बड़े समूहों को अपनी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मदद के लिए और अपने हिंदू राष्ट्रवादी साख को बढ़ाने का फैसला किया. उनकी सरकार ने लाखों लोगों के साथ एक हिंदू त्योहार मनाने की अनुमति दी. उन्होंने हजारों समर्थकों के बीच बिना मास्क के राज्य चुनावों में प्रचार के लिए रैलियां की.
रविवार को उनकी पार्टी बंगाल का अहम चुनाव हार गई. लेकिन पहले के मुकाबले उनकी पकड़ मजबूत हुई है और उन्होंने पहले से ज्यादा सीटें जीती हैं. जो बताती हैं कि इनकी पार्टी राष्ट्र स्तर पर कितनी प्रभावी है.
“भारत में कोविड महामारी के बीच नरेंद्र मोदी अहम राज्यों के चुनाव हारे”
अंग्रेजी अखबार द गार्डियन लिखता है कि भारत के प्रधान मंत्री को एक प्रमुख राज्य के चुनाव में राजनीतिक हार का सामना करना पड़ा है. कोरोनोवायरस आपदा से निपटने को लेकर मतदाता की नाराजगी झेलनी पड़ी है.
अखबार ने लिखा है कि ममता बनर्जी की अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने 294 सीटों वाली विधानसभा में 216 सीटों पर कब्जा करते हुए एक आरामदायक बहुमत हासिल किया. बीजेपी ने साल 75 सीटें जीतीं हैं, जबकि साल 2016 में उनकी पार्टी को केवल तीन सीटें ही मिली थी.
नरेंद्र मोदी ने अपने गृह मंत्री अमित शाह के साथ पश्चिम बंगाल में दर्जनों रैलियां की, जिस वजह से दोनों पर कोविड -19 महामारी की जगह राजनीति को प्राथमिकता देने का आरोप भी लगा है.
मोदी पर महामारी के बजाय चुनाव पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान जमकर निशाना साधा, लेकिन मोदी की आलोचना करने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आराम से इसे संभाल लिया. मोदी पर महामारी के बजाय चुनाव पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाया गया है.
पार्टी ने उत्तर-पूर्वी राज्य असम में सत्ता में वापसी की है लेकिन कहीं और बड़ा फायदा हासिल करने में नाकाम रही.
अखबार आगे लिखता है कि पिछले 10 दिनों में देश में हर दिन कोरोना के 300,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. अस्पतालों को बेड और मेडिकल ऑक्सीजन की सख्त कमी का सामना करना पड़ रहा है, कई भारतीय मदद के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं. इन सब के बीच रैलियों और मतदान को कोरोना के मामलों में उछाल के लिए दोषी ठहराया जा रहा है.
वहीं अलजजीरा ने ममता बनर्जी को लेकर कहा है कि वो भारत की इस वक्त अकेली महिला मुख्यमंत्री हैं. साथ ही अलजजीरा ने ममता बनर्जी के कैंपेन के तरीके को भी तवज्जो दी है. अलजजीरा ने लिखा है कि मोदी की तीखी आलोचना करने वाले बनर्जी ने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रैलियों और अपने कैंपेन में महिलाओं पर जोर दिया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)