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आत्महत्या रोकने के लिए IISc बेंगलुरु में निकाले जा रहे हैं छतों के पंखे- रिपोर्ट

इंस्टीट्यूट के अधिकतर छात्र छतों से पंखे निकालने वाले फैसले से खुश नहीं हैं

Published
भारत
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भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरू (Bengaluru) के छात्रों का कहना है कि कैम्पस में आत्महत्याओं को रोकने के लिए इंस्टीट्यूट के अधिकारी हॉस्टल्स के कमरों की छतों में लगे पंखों को निकलवा रहे हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक आईआईएससी बेंगलुरू के कैम्पस में पिछले दो सालों के दौरान सुसाइड के 6 मामले सामने आए हैं.

इंस्टीट्यूट के छात्रों का कहना है कि हॉस्टल के कमरों में छत के पंखे की जगह दीवार पर लगे पंखे लगाए जा रहे हैं.
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक विद्यार्थियों द्वारा छात्र परिषद के अध्यक्ष को लिखे गए नोट में कहा गया है कि छत के पंखे हटाने के लिए काम कर रहे कर्मचारियों ने छात्रों से कहा है कि अगले पंद्रह दिनों में IISc के सभी छात्रावासों के सभी कमरों में ऐसा ही किया जाएगा.

अधिकतर छात्र नहीं चाहते कि छत से निकाले जाएं पंखे

कथित तौर पर छात्रों ने एक सर्वे किया, जिसमें 89 प्रतिशत छात्र नहीं चाहते कि छत के पंखे हटाए जाएं और दीवार पर लगें. बाकी छात्रों का कहना है कि उन्हें इस फैसले से कोई समस्या नहीं है.

इस बीच, सर्वे में शामिल 86 प्रतिशत छात्रों को नहीं लगता कि छत के पंखे को दीवार पर लगे पंखे से बदलने से आत्महत्याओं पर अंकुश लगेगा.

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समुद्र फाउंडेशन के सीईओ और यूथ काउंसलर, भारती सिंह ने कहा कि कथित तौर पर लिया गया यह फैसला मैनेजमेंट की तरफ एक प्रतिक्रिया है.

संस्थान को इस बात पर जोर देकर काम करना चाहिए कि छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं. काउंसलर्स के माध्यम से मैनेजमेंट को व्यक्तिगत विषयों सहित असफलता के डर जैसी समस्याओं का समाधान करना चाहिए क्योंकि छात्र अपने घरों से दूर रह रहे हैं.
भारती सिंह, यूथ काउंसलर

भारती सिंह बेंगलुरु में आत्महत्याओं को रोकने के लिए काम करते हैं. उन्होंने कहा कि संस्थान को एक स्टूडेंट काउंसलिंग सेंटर बनाना चाहिए. मैनेजमेंट के द्वारा ऐसे काउंसलर्स को बुलाना चाहिए जो नियमित रूप से छात्रों से बात कर सकें, जिससे विद्यार्थी अपने साइकोलॉजिकल और इमोशनल समस्याओं से निपट सकें.

आईआईएससी छात्र परिषद के सदस्य ने कहा कि विद्यार्थियों को मेंटल हेल्थ सहायता प्रदान करने के लिए कैंपस में बनाए गए वेलनेस सेंटर प्रभावी नहीं रहे हैं.

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