केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने जनता से 8 दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को अपना समर्थन देने की अपील की है. ये संगठन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच अब तक की बातचीत नाकाम रही है और छठे दौर की बातचीत बुधवार को होनी है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैट ने सोमवार को बताया, ''कल का भारत बंद सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक होगा. एम्बुलेंस जैसी सेवाएं, यहां तक कि शादियां भी, सामान्य तरीके से जारी रह सकती हैं.''
किन कानूनों का विरोध कर रहे हैं किसान?
किसान संगठन कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 का विरोध कर रहे हैं.
सितंबर में बनाए गए इन तीनों कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक बड़े सुधार के रूप में पेश किया है और कहा है कि इससे बिचौलिये हट जाएंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच पाएंगे.
हालांकि किसान संगठनों को आशंका है कि इन कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी व्यवस्था खतरे में आ जाएगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों पर निर्भर छोड़ दिया जाएगा. मगर सरकार ने कहा है कि एमएसपी और मंडी व्यवस्था बनी रहेगी.
कई विपक्षी दलों ने किया ‘भारत बंद’ के आह्वान का समर्थन
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कणगम के प्रमुख एमके स्टालिन और पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर ‘भारत बंद’ के आह्वान का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिये दबाव बनाया.
बयान में कहा गया है, ‘‘हम देशभर के कई किसान संगठनों द्वारा आयोजित भारतीय किसानों के जबर्दस्त संघर्ष के साथ एकजुटता प्रकट करते हैं और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर उनके द्वारा आठ दिसंबर को किए गए भारत बंद के आह्वान का समर्थन करते हैं.’’
इस बयान पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, भाकपा (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, ऑल इंडिया फॉरवार्ड ब्लॉक के महासचिव देवव्रत विश्वास और आरएसपी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य ने भी दस्तखत किए हैं. इसके अलावा शिवसेना और बहुजन समाज पार्टी ने भी 'भारत बंद' के आह्वान का समर्थन किया है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा है, ''8 दिसंबर को किसानों द्वारा किए गए भारत बंद के आह्वान का आम आदमी पार्टी पूरी तरह से समर्थन करती है. देशभर में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से इसका समर्थन करेंगे. सभी देशवासियों से अपील है कि सब लोग किसानो का साथ दें और इसमें हिस्सा लें.''
दिल्ली से लगे कई बॉर्डर बंद, ट्रैफिक को मोड़ा गया
दिल्ली पुलिस ने एहतियात के तौर पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती सीमाओं पर तैनाती बढ़ा दी है और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ट्वीट करके सिंघू, औचंदी, पियाओ मनीयारी और मंगेश बॉर्डर के बंद होने की जानकारी दी है. टिकरी और झरोदा बॉर्डर भी बंद हैं.
ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-44 भी दोनों तरफ से बंद है इसलिए इस पर यात्रा कर रहे लोगों को वैकल्पिक लामपुर, साफियाबाद, सफोली बॉर्डरों से यात्रा करने की सलाह दी जाती है.
वहीं मुकरबा और जीटीके रोड पर भी यातायात को मोड़ा गया है. नोएडा की ओर जाने वाले लोगों को डीएनडी से जाने की सलाह दी गई है क्योंकि नोएडा लिंड रोड पर चिल्ला बॉर्डर भी यातायात के लिए बंद है. पुलिस ने बताया कि जो हरियाणा की यात्रा कर रहे हैं वे धनसा, दौराला, कापसहेड़ा, रजोकरी राष्ट्रीय राजमार्ग-8, बिजवासन या बजघेरा, पालम विहार, डुंडाहेरा बॉर्डर के रास्ते ले सकते हैं.
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जो कोई भी सामान्य मूवमेंट/ जीवन को बाधित करने और जबरन दुकानें बंद कराने की कोशिश करेगा, उससे कानूनी तौर पर कड़े तरीके से निपटा जाएगा.
'भारत बंद' पर व्यापार और ट्रांसपोर्ट संगठनों का क्या रुख है?
व्यापारियों के संगठन कन्फेडेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सोमवार को कहा कि ‘भारत बंद’ के दौरान दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में बाजार खुले रहेंगे. ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यू) ने भी घोषणा की है कि ‘भारत बंद’ के दौरान परिवहन या ट्रांसपोर्ट क्षेत्र का परिचालन भी सामान्य रहेगा.
कैट और एआईटीडब्ल्यूए ने सोमवार को संयुक्त बयान में कहा कि किसी भी किसान नेता या संगठन ने उनसे इस मुद्दे पर समर्थन नहीं मांगा है, ऐसे में व्यापारी और ट्रांसपोर्टर ‘भारत बंद’ में शामिल नहीं होंगे.
हालांकि दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने 'भारत बंद' के आह्वान पर अपना समर्थन दिया है. इन यूनियनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स , ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर, सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस शामिल हैं.
आईएएनएस के मुताबिक, 'भारत बंद' को दिल्ली टैक्सी टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन ने अपना समर्थन दिया है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऑटो टैक्सी संगठनों ने फैसला लिया है कि वे इस ‘भारत बंद’ में शामिल होंगे.
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