78 वर्षीय कवि और पत्रकार वरवरा राव की मौत की अफवाहों को खारिज करते हुए उनके परिवार ने 12 जुलाई को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस की. परिवार ने बताया कि वरवरा राव जिंदा हैं और ‘लड़’ रहे हैं. हालांकि परिवार ने कहा कि वो उनकी बिगड़ती तबीयत की वजह से चिंता में है.
उनकी बेटी पी पवन ने कहा, "काफी समय से वो बीमार चल रहे हैं, हालांकि हाल ही में टेलीफोन पर हुई बातचीत से समझ आया कि उनका स्वास्थ्य अस्थिर है."
जब हमने उनसे बात की थी तो वो अस्थिर और बेतुके से लग रहे थे. उन्हें आसान सवालों को समझने में भी दिक्कत आ रही थी, जो कि होता नहीं था. वो पूरी तरह खोए हुए लगे और उन्हें हैल्युसिनेशन हो रहे हैं.पी पवन, वरवरा राव की बेटी
'उन्हें चलने में मदद की जरूरत है'
राव के परिवार के मुताबिक, 11 जुलाई को फोन पर हुई बातचीत के दौरान वो बेसुध से लगे. उनकी बेटी ने बताया, "वो अपने माता-पिता के अंतिम संस्कार के बारे में हैल्युसिनेटेड बात करने लगे, जो चीजें चार और सात दशक पहले हुई हैं."
वरवरा राव के परिवार की तरफ से जारी की गई प्रेस रिलीज में कहा गया कि उनकी पत्नी और बेटियों को राव के साथ आरोपी ने बताया कि राव को चलने के लिए और ब्रश करने में मदद की जरूरत होती है.
जून में एक स्पेशल कोर्ट ने वरवरा राव की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उनकी याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट में अभी लंबित है.
'सरकार उनसे जीने का अधिकार नहीं छीन सकती'
जेल अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए वरवरा राव के परिवार ने मांग की है कि सरकार उन्हें किसी बेहतर अस्पताल में शिफ्ट करे या अच्छी मेडिकल सुविधा दी जाए. प्रेस रिलीज में परिवार ने कहा, "हम सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्हें किसी व्यक्ति से जीने का अधिकार छीनने का कोई हक नहीं है, चाहे वो कैदी ही क्यों न हो."
द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राव के वकील निहालसिंह राठौड़ ने जेल अधिकारियों को एक ईमेल भेजकर उनकी लेटेस्ट मेडिकल रिपोर्ट मांगी है. साथ ही राठौड़ ने राव और उनके परिवार के बीच एक वीडियो कॉल का इंतजाम करने की मांग रखी है.
वरवरा राव उन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से हैं, जिन्हें महाराष्ट्र पुलिस ने देशभर से भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किया है. हिंसा जनवरी 2018 में हुई थी. चार्जशीट में पुलिस ने आरोप लगाया कि एक्टिविस्टों ने पीएम मोदी को मारने का प्लान बनाया था.
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