पुणे भीमा-कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र गठबंधन की सरकार आपस में ही टकराने लगी है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के एनआईए से जांच कराने वाले फैसले से नाराज दिख रहे हैं. लेकिन पवार अब बीजेपी को भी अपना पावर दिखाने को लेकर अड़ गए हैं. एनसीपी ने फैसला किया है कि एनआईए के समानांतर यलगार परिषद की एसआईटी जांच भी करवाई जाएगी.
शरद पवार ने यलगार परिषद मामले को एनआईए को सौंपने को लेकर सार्वजनिक रूप से महाराष्ट्र सरकार पर नाराजगी जताई है. उनके साथ ही सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने भी इसे सही नहीं ठहराया. ऐसे में सरकार में ही रहकर शिवसेना और एनसीपी के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है.
एनसीपी ने इस मामले में एक बैठक की और फैसला लिया है कि समानांतर जांच कराई जाएगी. इसके लिए एसआईटी का गठन किया जाएगा. पार्टी ने कहा,
एनआईए के सेक्शन 10 में ये प्रावधान है कि राज्य सरकार अपने अधिकार का इस्तेमाल कर यलगार परिषद की समानांतर जांच करवा सकती है. जल्द ही राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख एसआईटी के गठन का आदेश जारी करेंगे.
इस बारे में अनिल देशमुख ने कहा है कि यलगार परिषद केस की जांच के लिए एसआईटी गठन को लेकर राज्य सरकार के कानूनविदों की सहायता ली जा रही है.
SIT का कैसा होगा स्वरूप?
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने एसआईटी गठन की बात तो कर दी है लेकिन ये सबसे बड़ा सवाल है कि एसआईटी का स्वरूप क्या होगा? इसके साथ ही उसके अधिकार क्या होंगे? ये तय होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
क्या है मामला?
तीन साल पहले 31 दिसंबर 2017 को महाराष्ट्र के पुणे में एक एलगार परिषद में सम्मेलन आयोजित किया गया था, आयोजन के अगले ही दिन भीमा-कोरेगांव स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी. पुलिस ने दावा किया था इस परिषद में हिंसा की योजना बनाई गई और आयोजन को माओवादियों का समर्थन था. इस मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
बता दें, शिवसेना और एनसीपी के बीच तल्खी तब और बढ़ गई, जब महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एनआईए जांच को हरी झंडी दिखाने के लिए ठाकरे को धन्यवाद दिया. इसके साथ ही उन्होंने शरद पवार पर निशाना साधा कि वह एलगार परिषद की जांच एनआईए से नहीं बल्कि एसआईटी से करवाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, पवार वोट बैंक की राजनीति करने की कोशिश कर रहे. उन्हें डर है कि उनकी सच्चाई कहीं बाहर न आ जाए.
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