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कंबल,व्हीलचेयर तक के लिए मिन्नत,जेल में एकदम टूट गए 82 साल के वरवर

82 वर्षीय लेखक वरवर राव जेल में मानसिक बीमारी से ग्रस्त हुए, अजीब अनुभव का किया सामना

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भारत
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82 वर्षीय लेखक और विचारक वरवर राव ने जेल में काफी बुरा वक्त देखा. अपनी पत्नी को जेल से किए एक फोन कॉल में वरवर राव अजीब बातें कर रहे थे. विप्लव रचियतला सघम (क्रांतिकारी लेखकों का मंच) के अध्यक्ष वरवर राव हिंदी में बात कर रहे थे, जबकि उनकी मातृभाषा तेलुगु है और इस भाषा में वे कई कविताएं लिख चुके हैं.

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इस फोन कॉल में राव ने कहा कि, उनकी पत्नी के मृत शरीर को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया. वहां पर कई लोग मौजूद हैं.

जून 2020 को किए गए इस कॉल के दौरान वरवर राव की पत्नी पी हेमलता, उन्हें फोन पर 5 मिनट तक सुनती रहीं. वो समझ नहीं पा रही थीं कि वरवर राव क्या कह रहे हैं.

82 वर्षीय वरवर राव, जेल में एक मानसिक बीमारी से ग्रसित हो गए थे. जिसकी वजह से उन्हें ऐसा लगा कि उनकी पत्नी की मौत हो गई है.

उसके मृत शरीर को शवदाह के लिए ले जाया गया. वे उस पर केमिकल्स का उपयोग क्यों करेंगे? राव ने अंतिम संस्कार को लेकर एक काल्पनिक अनुभव सुनाया. बता दें कि राव की पत्नी 67 वर्षीय हेमलता जीवित हैं और हैदराबाद में रहती हैं.

1 साल से बीमार हैं वरवर राव

जेल में कैद के दौरान वरवर राव का वजन 20 किलोग्राम घट गया है और मस्तिष्क संबंधी परेशानी से पीड़ित हैं. इस बारे में उनके परिवार को मई 2020 में पता चला, जब जेल जाने के 2 महीने बाद वे बीमार हुए.

अब वरवर राव को मेडिकल आधार पर जमानत मिल गई है. वरवर राव मुंबई के नानावती अस्पताल से डिस्चार्ज और जेल से रिलीज ऑर्डर का इंतजार कर रहे हैं.

आखिर कैसे 80 वर्षीय से अधिक उम्र का तेजस्वी लेखक टूट गया, जिन्हें 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत जेल में बंद किया गया.

इससे पता चलता है कि वरवर राव कैद के दौरान जेल में अनदेखी का शिकार हुए हैं, जिसकी वजह से वह एक साल से ज्यादा वक्त से बीमार हैं.

‘कंबल की कमी’

इस मामले में वरवर राव की गिरफ्तारी से पहले, उन्हें दो महीने तक घर में नजरबंद रखा गया. जिसके बाद महाराष्ट्र में तत्कालीन देवेंद्र फडणवीस की सरकार के दौरान मुबंई पुलिस ने उन्हें UAPA के तहत गिरफ्तार कर लिया. वरवर राव को यरवदा जेल में रखा गया.

शुरुआत में राव जेल में अच्छी तरह से मुकाबला कर रहे थे. क्योंकि वो पहले भी कई बार जेल जा चुके थे. उन्होंने अपनी एक किताब ‘चैनड म्यूसे’ जेल पर आधारित अपने अनुभव पर लिखी है.

यरवदा जेल में, उन्हें सिंगल सेल की बैरक में रखा गया. हालांकि उसमें सोने के लिए बेड और बैठने के लिए कोई कुर्सी नहीं दी गई. जब भी तापमान गिरता था तब वरवर राव सिर्फ इसकी शिकायत करते थे.

तेलंगाना के वातावरण के आदी रहे वरवर राव को महाराष्ट्र में सर्दियों में परेशानियों का सामना करना पड़ता था. राव ने जेल में कंबल मांगा था, लेकिन पहली बार में उन्हें नहीं दिया गया.

वरवर राव की बेटी पवना ने द क्विंट को बताया कि कंबल की मांग को लेकर उन्होंने जेल अथॉरिटी से अनुरोध किया, लेकिन जब कोई हल नहीं मिला, तो वे कोर्ट गए और अदालत के आदेश के 2 महीने बाद उन्हें कंबल दिया गया.

पूरी सर्दियों के दौरान वरवर राव के पास सिर्फ एक कंबल था. क्या यह एक राजनैतिक कैदी की उपेक्षा नहीं है? यरवदा जेल में 1 साल की कैद के दौरान राव ने ज्यादातर लिखना और पढ़ना इंग्लिश में किया.

वो हर सप्ताह यरवदा जेल में अपनी कैद के अनुभव हमारे साथ लिखकर साझा करते थे. उन्होंने जेल में उम्रकैद काट रहे कई कैदियों के बारे में बताया, विशेषकर दलित और मुस्लिम कैदियों के बारे में, जिन्हें कैद कर लिया गया था.
पवना राव, वरवर राव की बेटी

पवना ने बताया कि ‘वरवर राव जेल में खुद को व्यस्त रखते थे. लेकिन तलोजा जेल में शिफ्ट करने की वजह से चीजें बिल्कुल बदल गईं.’

NIA, लॉकडाउन और परेशानी

वरवर राव जब यरवदा जेल मे थे, तब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी. इसके बाद केंद्र ने हस्तक्षेप करते हुए भीमा कोरेगांव हिंसा का केस राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को सौंपने को कहा.

जब भीमा कोरेगांव हिंसा का केस NIA को सौंपा गया, तो जेल में मुलाकात के लिए दी जाने वाली विजिट कम कर दी गई, और फिर लॉकडाउन भी एक बड़ा कारण था.
पवना राव, वरवर राव की बेटी

देशभर की जेलों के लिए कोर्ट के एक आदेश की वजह से परिवार का वरवर राव से संपर्क नहीं हो पाया. मार्च 2020 से मई 2020 तक राव परिवार से मिल नहीं पाए.

तलोजा जेल में, हमें उन्हें सिर्फ इंग्लिश और हिंदी की किताबें देने की इजाजत दी गई. जेल प्रशासन का कहना था कि वो तेलुगु किताबों की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि उनके पास कंटेंट की जांच के लिए कोई नहीं है.
पवना राव, वरवर राव की बेटी

वरवर राव की बेटी ने कहा कि, तेलुगु किताबें नहीं होने की वजह से, उन्होंने धीरे-धीरे हिंदी बोलना शुरू किया. उन्होंने मां से हिंदी में बात की और हम कुछ समझ नहीं पाए. लेकिन जब उन्होंने मां की मौत के बारे में कहना शुरू किया कि तो हम समझ गए कि कुछ गड़बड़ है. सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल ने स्पष्ट किया कि राव मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं.

व्हील चेयर के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस

राव की बेटी ने आगे बताया कि, वर्नोन गोंजाल्विस, जो कि भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोप में राव के साथ जेल में बंद हैं, उन्होंने हमेशा कहा कि जल्द ही कुछ कीजिए.

हमारे परिवार ने जुलाई 2020 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. जिसमें कहा गया कि तलोजा जेल में वरवर राव को व्हील चेयर और इस्तेमाल करने के लिए बेड नहीं दिया गया है. वो बीमार थे लेकिन जेल प्रशासन उन्हें मेडिकल सुविधा देने से इनकार करता रहा.

कोर्ट के आदेश के बाद गोंजाल्विस को मदद के लिए वरवर राव की सेल में शिफ्ट किया गया. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार के हस्तक्षेप करने पर उन्हें नानावती अस्पताल भेजा गया.

पवना ने भारी मन से कहा कि जब हम उनसे नानावती अस्पताल में मिले. तो वे बिस्तर के एक छोर पर बैठे थे क्योंकि बिस्तर गीला हो गया था. वरवर राव को एडल्ट डायपर और भोजन दिया जाना चाहिए था, क्योंकि वे बहुत कमजोर हो गए थे.

वरवर राव के परिवार ने बताया कि तलोजा जेल में, जो लोग राव की देखभाल करते थे. उन्होंने कई बार जेल प्रशासन से राव को व्हील चेयर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था. राव जेल में काफी वृद्ध थे और कई कैदियों के लिए पिता के समान थे.

पवना ने कहा कि, उनकी जमानत के लिए परिवार ने 6 से ज्यादा बार अपील की, इनमें 4 दफा मेडिकल ग्राउंड पर उन्हें बेल देने की अपील की गई. लेकिन सभी अपील अस्वीकार कर दी गई.

क्या उन्हें वापस जेल जाना होगा? इस सवाल के जवाब में उनके परिवार को लगता है कि वह जेल में दोबारा कैद में नहीं रह पाएंगे.

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