भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाले समाजिक कार्यकर्ता अब्दुल जब्बार का गुरुवार को निधन हो गया. अब्दुल जब्बार पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. इलाज के लिए उन्हें भोपाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
बता दें कि तीन दिसंबर 1984 को भोपाल में एक भयानक दुर्घटना हुई थी. भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसोसाएनेट गैस लीक हुई, जिससे हजारों लोगों की जान चली गई. साथ ही बहुत सारे लोग शारीरिक अपंगता के शिकार हो गए.
इंसाफ की लड़ाई लड़ते-लड़ते अब्दुल जब्बार नेे अपने माता-पिता और भाई को खो दिया. ये सभी गैस त्रासदी के बाद के प्रभावों से पीड़ित थे. गैस त्रासदी के अगली सुबह से ही अब्दुल जब्बार पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए और उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए आवाज उठाई. अपने एनजीओ के जरिए वह पीड़ितों के परिवार की मदद करते थे.
अब्दुल जब्बार की कोशिशों की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट ने अपना वह फैसला बदला था, जिसमें यूनियन कार्बाइड के डायरेक्टर को आपराधिक उत्तरदायित्व से मुक्त कर दिया गया था.
जब्बार के कोशिशों और तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के वजह से कार्बाइड के डायरेक्टर की आपराधिक जिम्मेदारी फिर से निर्धारित की गई.
मध्यप्रदेश सरकार ने इलाज का खर्च उठाने का किया था ऐलान
उनके निधन से पहले कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अस्पताल जाकर मुलाकात की थी. साथ ही दिग्विजय ने उनके परिवार के लोगों को भरोसा दिलाया था कि सरकार इलाज का पूरा खर्च उठाएगी. जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ट्वीट कर कहा, "भोपाल गैस त्रासदी के बाद हजारों पीड़ितों के हितो के लिये सतत संघर्ष करने वाले अब्दुल जब्बार भाई का हाल ही में बीमार होने पर चल रहे इलाज का सारा खर्च सरकार ने वहन किया,और आगे भी सरकार उनके इलाज का पूरा ख़र्च वहन करेगी,उनके साथी चिंतित ना हो."
अब्दुल जब्बार 'भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन' के संयोजक थे. साल 2018 में गैस त्रासदी की 34वीं बरसी पर गैस पीड़ितों के साथ अब्दुल जब्बार ने केंद्र और राज्य सरकारों के रवैए पर नाराजगी जाहिर की थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)