पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के नजदीक कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सेना के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है. वहीं, डोकलाम विवाद के बाद ये सबसे बड़ी सैन्य तनातनी का रूप ले सकती है. सेना के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में अपनी ताकत बढ़ा ली है. इन दोनों विवादित क्षेत्रों में चीन की सेना ने दो से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती की है. वह अस्थायी निर्माण को मजबूत कर रही है.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के बारे में कहा जाता है कि उसने अपनी ओर से लगभग 5,000 सैनिकों को इकट्ठा किया था.
वहीं, द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना ने भी “विपरीत क्षेत्र में चीनी लोगों की संख्या बढ़ने की रिपोर्ट” के बाद लद्दाख में ही नहीं, उत्तराखंड में भी तैनाती को मजबूत किया है.
इस मामले में सेना की उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा (अवकाशप्राप्त) ने कहा,
“यह गंभीर मामला है. यह सामान्य तौर पर किया गया अतिक्रमण नहीं है.”
लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि गलवान क्षेत्र पर दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं है, इसलिए चीन द्वारा यहां अतिक्रमण किया जाना चिंता की बात है.
'बैठक के बाद भी गतिरोध का हल नहीं'
बताया जाता है कि, दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच तनाव को कम करने के लिए कई बैठकें हुई हैं, लेकिन गतिरोध को हल करने में सक्षम नहीं हुए हैं.
इससे पहले, पूर्वी लद्दाख में और सिक्किम में नकुल सेक्टर में सैनिकों के बीच झड़पों हुए थे, जिसमें दोनों पक्षों के कर्मी घायल हो गए थे. पिछले हफ्ते, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने वहां की स्थिति की समीक्षा करने के लिए लेई स्थित 14 कोर मुख्यालय का दौरा किया था.
बता दें, 2017 में भारत और चीन के बीच तनाव तब बढ़ गया था, जब दोनों देशों के सैनिक के बीच 73 दिनों तक डोकलाम में गतिरोध चला था.
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