बिहार (Bihar) में 2016 से लागू शराबबंदी कानून में सरकार दूसरी बार बदलाव करने जा रही है. मंगलवार को हुई नीतीश कैबिनेट की बैठक में 14 एजेंडों पर मुहर लगी, जिसमें मद्य निषेध व उत्पाद (संशोधन) अधिनियम-2022 का प्रारूप भी शामिल है. बताया जा रहा है कि शराबबंदी कानून के संशोधित प्रारूप को विधानमंडल के दोनों सदनों में इसी सत्र के दौरान पेश किया जाएगा. सरकार का दावा है कि शराबबंदी कानून को और सशक्त और शराब तस्करों पर सख्ती बढ़ाने के लिए यह संशोधन लाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, संशोधन प्रारूप में शराब की बिक्री और तस्करी करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधानों को शामिल किया गया है.
शराब पीने वालों की सजा घटाई
शराब पीने वालों को इस संशोधन में थोड़ी राहत दी गई है. जानकारी के मुताबिक, शराब पीते हुए पहली बार पकड़े जाने पर अब कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी. अब मजिस्ट्रेट ही जुर्माना लेकर जमानत दे सकेंगे. लेकिन जुर्माना न भरने पर शराब पीने वाले को एक महीने की जेल हो सकती है. शराब पीने वालों की न्यूनतम सजा अब तीन महीने से घटाकर एक महीने करने और जुर्माने की राशि घटाने का भी प्रस्ताव है.
इसके अलावा, शराब बेचने वाले का पता बताने पर, अगर छापेमारी में शराब बेचने वाला पकड़ा जाता है, तो शराब पीने वाले को जेल नहीं भेजा जाएगा. इसकी घोषणा आबकारी विभाग के डिप्टी कमिश्नर कृष्णा कुमार ने की थी. इसे भी संशोधन में शामिल किया गया है.
पहली बार कम मात्रा में शराब के साथ पकड़ी गई छोटी प्राइवेट गाड़ियों को भी जब्त करने की बजाए जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा. लेकिन बड़ी गाड़ियों (मालवाहक वाहनों) को ऐसी छूट नहीं मिलेगी. तस्करी में संलिप्त गाड़ियों को जब्त और नीलाम करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा.
शराब कारोबारियों और तस्करों पर तत्काल नकेल कसी जा सके इसके लिए प्रवाधान किए गए हैं. शराब से जुड़े मामलों का ट्रायल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, डिप्टी कलेक्टर या उससे ऊपर के अधिकारी भी कर पाएंगे.
संशोधन से कम होंगे लंबित मामले?
बताया जा रहा है कि शराबबंदी कानून के सेक्शन 62 में बदलाव किया जाएगा. इसके तहत शराब मिलने वाली जगह (घर/परिसर) को अब ASI भी सील कर पाएंगे. अभी तक ये पॉवर सिर्फ SI और उसके ऊपर के अधिकारियों के पास है. जब्ती के बाद अगर शराब को सुरक्षित ले जाना संभव नहीं होगा, तो डीएम के आदेश पर अधिकारी शराब को जब्त की गई जगह पर ही नष्ट कर सकेंगे और उसका सैम्पल बतौर सबूत रखेंगे.
शराबबंदी कानून में संशोधन के इस प्रस्ताव का बड़ा कारण अदालतों में लंबित मामलों और जेलों पर पड़ रहे बोझ को कम करना है. जानकारी के मुताबिक, शराबबंदी कानून के तहत बिहार की जेलों में करीब 4 लाख लोग बंद हैं और इसमें से करीब 40 फीसदी मामले शराब पीने वालों से जुड़े हुए हैं.
शराबबंदी कानून के क्रियान्वयन और अदालतों पर पड़ रहे बोझ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हालिया दिनों में बिहार सरकार पर कई सख्त टिप्पणियां भी की हैं.
संगठित अपराध की श्रेणी में शराब बिक्री
प्रारूप में स्पष्ट किया गया है कि संशोधन के बावजूद शराब की बिक्री संगठित अपराध की श्रेणी में आएगी. शराब के धंधेबाज और तस्करों की संपत्ति जब्त करने की अनुशंसा भी प्रस्ताव में की गई है. इसके साथ ही, ऐसा कोई भी पदार्थ जिसे शराब में तब्दील किया जा सके, उसे मादक द्रव्य की श्रेणी में रखा जाएगा. शराब तस्करों और बड़े धंधेबाजों पर पहले की तरह ही कोर्ट में ही मामला चलेगा.
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