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‘पद्मावती’ पर बयानों से नाराज सुप्रीम कोर्ट, नीतीश ने भी बैन लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं को दी फिल्म पर अनर्गल बयानबाजी से बचने की सलाह

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भारत
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पद्मावती रिलीज कब होगी अभी नहीं मालूम. सेंसर बोर्ड ने अभी संजय भंसाली की फिल्म को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन एक के बाद एक मुख्यमंत्री भारतीय संस्कृति का हवाला देकर फिल्म पर पाबंदी लगाते जा रहे हैं. ताजा कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हो गए.

उन्होंने कहा बिहार में पद्मावती रिलीज नहीं होगी. हालांकि मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के गैर जिम्मेदार बयानों पर सख्त एतराज जताया है. लेकिन नीतीश कुमार ने साफ कर दिया है बिहार में भी भंसाली की फिल्म रिलीज नहीं होगी.

बिहार के पहले गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब फिल्म को बैन कर चुके हैं.

प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में पद्मावती को तब तक रिलीज नहीं किया जाएगा, जबतक कि इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक इसे लेकर सफाई नहीं दे देते.

सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं को दी फिल्म पर अनर्गल बयानबाजी से बचने की सलाह
‘पद्मावती’ को लेकर कई राज्यों में छिड़ा है संग्राम
(फोटो: फिल्म पोस्टर)
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विधायक ने कहा, सीएम ने मान लिया

बिहार के सुपौल में छातापुर सीट से विधायक नीरज कुमार सिंह ने चिट्ठी लिखकर सीएम नीतीश कुमार से 'पद्मावती' पर बैन लगाए जाने की मांग की. इस पर नीतीश कुमार ने कहा कि जब तक 'पद्मावती' पर विवाद खत्म नहीं हो जाता, तब तक राज्य में इसका प्रदर्शन नहीं किया जाएगा.

मुख्यमंत्री नीतीश ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जब तक फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली सफाई नहीं दे देते, तब तक राज्य में 'पद्मावती' को रिलीज न किया जाए.

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सुप्रीम कोर्ट फटकार लगाई थी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ही विदेश में पद्मावती को रिलीज करने से रोकने की याचिक खारिज कर दी थी. सर्वोच्च अदालत ने सरकार में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को फटकार लगाई थी कि वो इस तरह की बयानबाजी से बचें.

सुप्रीम कोर्ट का कहना था "जब यह मामला सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के पास विचाराधीन है, तो फिर जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग फिल्म के बारे में बयानबाजी क्यों कर रहे हैं? फिल्म पर सीबीएफसी को ही फैसला लेने दें."

सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के बारे में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की ओर से की जा रही बयानबाजी को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह फिल्म के बारे में पहले से धारणा बनाने जैसा है. ऐसी बयानबाजी कानून उल्लंघन है, क्योंकि सेंसर बोर्ड ने अभी तक फिल्म को रिलीज करने का सर्टिफिकेट नहीं दिया है.

ये भी पढ़ें- पद्मावती पर बयान देनों वालों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

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