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क्या बिहार की मस्जिद में हिंदू लड़के की बलि दी गई? खबर का पूरा सच

ऑप इंडिया ने अपनी वेबसाइट में किया था गलत दावा, पुलिस ने दर्ज किया केस

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10 मई को मीडिया वेबसाइट, ऑप इंडिया, के एक आर्टिकल में दावा किया गया कि एक नई मस्जिद की ‘ताकत’ और ‘रसूख’ के लिए रोहित जायसवाल नाम के एक लड़के की ‘बलि’ दी गई है. आर्टिकल में बताया गया कि 28 मार्च को बिहार के गोपालगंज में कटेया के बेला डीह गांव में लड़के की कथित हत्या के बाद उसे नदी में फेंक दिया गया

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हालांकि बिहार पुलिस के डीजीपी, डीआईजी और गोपालगंज के एसपी ने मामले के सांप्रदायिक होने के सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है और ये साफ कर दिया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक लड़के की मौत डूबने से हुई.

ऑप इंडिया के दावे क्या हैं?

नाबालिग लड़के के पिता, राजेश जायसवाल, के हवाले से वेबसाइट ने दावा किया कि उनके बेटे की मस्जिद में ‘बलि’ दी गई और ‘सारे आरोपी मुसलमान’ हैं. आर्टिकल में लिखा था- ‘गांव में एक मस्जिद बनाई गई थी और कथित तौर पर ऐसी मान्यता थी कि हिंदू की बलि देने पर मस्जिद की ताकत बढ़ेगी, इसका रसूख बढ़ जाएगा,’

आर्टिकल में रोहित के पिता और उसकी बहन का वीडियो भी मौजूद है जिसमें पिता ने पूरी घटना की जानकारी दी और बहन मदद की गुहार लगाती सुनाई दे रही थी. हालांकि, वीडियो में कहीं भी उन्होंने किसी मस्जिद का जिक्र नहीं किया. ऑप इंडिया के अलावा, सिर्फ न्यूज ने भी एक आर्टिकल छापा जिसकी हेडलाइन थी- ‘गोपालगंज की मस्जिद में हिंदू लड़के की ‘बलि’: भयभीत परिवार बिहार छोड़कर यूपी के अज्ञात इलाके में पहुंचा.’

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग दिया जिसमें IAS अधिकारी संजय दीक्षित के ट्वीट को इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक 2200 बार रिट्वीट किया गया था.

1. पुलिस ने सांप्रदायिक दृष्टिकोण को खारिज किया- ऑप इंडिया के खिलाफ केस दर्ज

डीआईजी विजय कुमार वर्मा ने 13 मई को वीडियो के जरिए एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि पांच आरोपियों के खिलाफ जांच चल रही है और मामला अब सीआईडी के हवाले कर दिया गया है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने घटना के पीछे कोई सांप्रदायिक वजह होने से इनकार कर दिया और कहा कि इसका किसी मस्जिद के निर्माण से कोई वास्ता नहीं है.

वर्मा ने कहा कि उन्होंने निजी तौर पर सभी आरोपों की जांच की है, और धारा 295 (A) (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किसी धर्म या धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाकर किसी तबके की धार्मिक भावना को भड़काना) और आईटी कानून की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में अश्लील सामग्री छापना या बांटना) के तहत ऑप इंडिया के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.

बिहार पुलिस के डायरेक्टर-जनरल गुप्तेश्वर पांडे ने भी इन दावों को खारिज किया. 17 मई, रविवार, को फेसबुक लाइव करते हुए, पांडे ने कहा कि उन्होंने निजी तौर इस केस की जांच की है और इसमें आपसी रंजिश का कोई मामला सामने नहीं आया है.

‘गांव में नमाज के लिए कोई मौलवी नहीं है. मुझे बताया गया कि लोग दूसरे गांव में जाकर नमाज पढ़ते हैं. इस घटना का किसी भी मस्जिद या मंदिर से कोई वास्ता नहीं है.’ 
गुप्तेश्वर पांडे, डीजीपी, बिहार

रोहित के परिवार वालों से बात करने के बाद, उन्होंने ये भी बताया कि परिवार के किसी भी सदस्य ने ‘मस्जिद के लिए लड़के की बलि' दिए जाने का कोई आरोप नहीं लगाया. परिवार ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उन्होंने पुलिस के डर से गांव छोड़ा था. आगे डीजीपी पांडे ने बताया कि कटेया के SHO अश्विनी तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया है, साथ ही उन्होंने लोगों से अफवाह ना फैलाने की गुजारिश भी की. उन्होंने कहा,

‘परिवारवालों ने SHO पर कई आरोप लगाए हैं और आपने SHO की बदसलूकी का वायरल वीडियो जरूर देखा होगा. मैं SHO के बर्ताव और उस समय के हालात पर कोई सफाई नहीं दूंगा. चाहे हालात कितने भी तनावपूर्ण क्यों ना हों, किसी पुलिस अधिकारी को आम जनता से ऐसी भाषा में बात करने का कोई अधिकार नहीं है,’

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29 मार्च को नाबालिग लड़के के पिता की शिकायत के आधार पर जो FIR दर्ज की गई उसमें मस्जिद का कोई जिक्र नहीं था. FIR में 6 लोगों को आरोपी बताया गया है, जिनमें से 4 नाबालिग हैं. इसमें लिखा है कि कुछ लड़के रोहित को लेकर क्रिकेट खेलने के लिए निकले थे. लेकिन वो घर नहीं लौटा, अगले दिन उसकी लाश नदी से बरामद हुई.

द क्विंट से बात करते हुए, गोपालगंज के एसपी मनोज कुमार तिवारी ने कहा कि इस घटना में आरोपी बनाए गए सभी बच्चे मुसलमान नहीं हैं, इनमें से एक हिंदू भी है.

‘हमने परिवार के आरोपों के मुताबिक पहले हत्या का मामला दर्ज किया था. लेकिन पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट से पता चला कि लड़के की मौत डूबने से हुई. शुरुआत में सभी चार बच्चों को जेल भेजा गया था, बाद में उन्हें पैरोल पर छोड़ दिया गया. एक आरोपी बालिग है और वो अब भी जेल में है.’ 
मनोज कुमार तिवारी, एसपी, गोपालगंज

हत्या के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, गोपालगंज के एसपी ने कहा कि ये परिवार वालों की सोच थी लेकिन पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट के दावे इससे बिलकुल अलग थे.

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2. आपसी रंजिश, सांप्रदायिक मामला नहीं: मृतक के पिता

द क्विंट ने रोहित के पिता से ऑप इंडिया के खिलाफ दायर FIR के सिलसिले में बात की और पूछा कि क्या आर्टिकल में छपे दावे झूठे थे? रोहित के पिता राजेश जायसवाल ने कहा,

‘उस समय मेरे पास कई कॉल आते थे. शक की हालत में मैंने कह दिया कि रोहित की हत्या मस्जिद में की गई होगी. एक को छोड़कर सभी बच्चे मुस्लिम थे, मेरी गांव में किसी से रंजिश नहीं है, ये कोई सांप्रदायिक मामला नहीं है.’

पुलिस की तफ्तीश पर निराशा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि आरोपी लड़कों ने उनके बेटे की हत्या कर दी है, ये डूबने का मामला नहीं है, जैसा कि पुलिस ने दावा किया है. उन्होंने कहा,

‘रोहित ने अपनी मां को बताया था कि गांव में बनने वाली मस्जिद का मौलवी उसके शरीर पर पानी छिड़कता था. ये उसने घटना के तीन-चार दिन पहले बताया था, लेकिन मेरी पत्नी ने इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया. मेरे बेटे को क्रिकेट खेलने के लिए बुलाया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई,’
राजेश जायसवाल, रोहित के पिता
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पिता ने आगे बताया कि पुलिस ने FIR दर्ज ना करने के एवज में परिवार को कथित तौर पर मुआवजा भी दिलाने की पेशकश की थी. रोहित के पिता ने कहा कि दो स्थानीय लोगों शब्बीर अंसारी और अफजल अंसारी ने परिवार पर FIR वापस लेने का दबाव भी बनाया था. द क्विंट ने जब दोनों के नाम FIR में नहीं होने के बारे में पूछा, तो उनका जवाब था, ‘उन्होंने मुझे FIR दर्ज किए जाने के बाद धमकी दी थी. उससे पहले उनका कोई जिक्र ही नहीं था.’

रोहित के पिता ने फिर आरोप लगाया कि वो और उनकी पत्नी जब थाने पहुंचे तो उनसे गाली गलौज की गई. ‘पुलिस वालों ने हमें अपना ठिकाना बदल लेने के लिए कहा, जिसके बाद हम उत्तर प्रदेश चले गए,’

3. ‘उस वक्त मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था, मैं नाउम्मीद हो गया था’- मृतक के पिता

जब हमने पूछा कि क्या उनके बेटे की मस्जिद में ‘बलि’ दी गई, तो उनका जवाब था, ‘किसी ने ऐसा देखा नहीं है. अगर कोई ऐसा दावा कर रहा है तो ऐसा वो संदेह के आधार पर ही कर रहा है. जो भी हुआ वो जांच से ही सामने आएगा.’ उन्होंने आगे बताया,

‘मुझे याद नहीं कि मैंने ऑप इंडिया से बातचीत में ‘बलि’ दिए जाने वाली बात कही या नहीं, लेकिन अगर वो ऐसा दावा कर रहे हैं तो हो सकता है मैंने ऐसा कहा हो’ जायसवाल ने कहा,

‘उस वक्त मेरा दिमाग स्थिर नहीं था. मैं पूरी तरह टूट गया था. मेरे पास इतने सारे फोन आ रहे थे. मैंने जो कहा उसके लिए मुझे खेद है. जब किसी के बेटे की हत्या कर दी गई हो, तो क्या उसकी दिमागी हालत ठीक रह जाती है? वो कुछ भी बोल सकता है. किसी पर आरोप लगा सकता है,’
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4. ‘कह नहीं सकती कि मेरे ‘बेटे’ की बलि दी गई’- मृतक की मां

द क्विंट के पास एक स्थानीय पत्रकार और मृतक की मां की बातचीत का हिस्सा मौजूद है, जिसमें मृतक की मां कहती है वो ठीक-ठीक नहीं बता सकती कि उसके बेटे की ‘बलि’ दी गई या नहीं. उसने आगे बताया कि उसके परिवार की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. उन्होंने कहा-‘मैं कह नहीं सकती कि मेरे बेटे की बलि दे दी गई लेकिन मुझे इतना मालूम है कि उसे बुलाकर कहीं ले जाया गया था और उसके शरीर पर पानी छिड़का गया था. मैं बलि देने की बात नहीं कह सकती, क्योंकि मैंने ऐसा अपनी आंखों से नहीं देखा,’

5. ‘गांव में कोई नई मस्जिद नहीं है:’

स्थानीय पत्रकार मुकेश, जिसने दावों की पड़ताल करने के लिए गांव का दौरा किया, ने द क्विंट को बताया कि वहां कोई नई मस्जिद नहीं बन रही थी. उसने कहा, ‘वहां किसी नई मस्जिद का निर्माण नहीं हो रहा था. करीब 1.5 या 2 साल पहले एक मस्जिद की नींव रखी गई थी, लेकिन ना तो वो पूरा बन पाया और ना ही घटना के वक्त कोई निर्माण का काम चल रहा था,’फिर उसने सवाल किए कि जब वहां कोई मस्जिद बन ही नहीं रही थी, तो वहां कोई मौलवी कैसे हो सकता है और किसी की ‘बलि’ कैसे दी जा सकती है.

6. स्थानीय लोगों ने भी घटना के सांप्रदायिक होने से इनकार किया

स्थानीय निवासी सोनू के मुताबिक गांव में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सौहार्द का माहौल है और उनके बीच पहले कभी सांप्रदायिक तनाव नहीं हुए. गांव में करीब 900 लोग हैं जिनमें से करीब 150 लोग मुसलमान हैं, स्थानीय नागरिक ने गांव की जनसंख्या बताते हुए समझाया. एक और स्थानीय निवासी सुघवीर ने, सोनू के दावों का समर्थन करते हुए, कहा कि 28 मार्च को सामने आई इस घटना के पीछे ‘ना तो कोई हिंदू-मुस्लिम एंगल है और ना ही इसमें कोई मस्जिद शामिल है.’ घटना की विस्तार से जानकारी देते हुए उसने कहा, ‘कुछ मुस्लिम लड़के रोहित को अपने साथ क्रिकेट खेलने के लिए ले गए और फिर उसे वापस घर छोड़ दिया, शाम में वो फिर उसे नहाने के बहाने नदी ले गए, इनमें एक हिंदू लड़का भी शामिल था.’

आरोपियों के परिवार का क्या कहना है?

इदरिस अंसारी, जिनके भतीजे और पोते इस घटना में आरोपी हैं, ने कहा कि लड़कों ने वाकये की जानकारी उन्हें उस दिन नहीं दी. उसने एक स्थानीय पत्रकार को ये बताया, जिस बातचीत का वीडियो द क्विंट के पास मौजूद है. जिसमें उसने कहा, ‘ये पांच बच्चे नहाने गए थे और इनमें से एक डूब गया. चार बच्चे वापस लौट आए, लेकिन एक नहीं लौटा. बाकी लड़के डर कर भागते हुए घर लौटे और हम में से किसी को इसकी जानकारी नहीं दी. अगले दिन मुझे इस घटना की जानकारी मिली’

मामले को सांप्रदायिक रंग दिए जाने पर अंसारी ने कहा कि वो कई सालों से इस गांव में रह रहे हैं और आज तक कभी भी हिंदू-मुसलमान के बीच किसी तरह का कोई मतभेद नहीं हुआ. अंसारी ने कहा,

‘गांव में करीब 10 से 12 मुस्लिम घर हैं जिनमें करीब 100-150 मुसलमान रहते हैं. हिंदू और मुसलमान के बीच किसी तरह का तनाव नहीं है. हम एक दूसरे के त्योहार मनाते हैं,’

रोहित के ‘बलि’ दिए जाने के आरोप पर उन्होंने कहा, ‘क्या मंदिर और मस्जिद में किसी की ‘बलि’ दी जाती है? अब लोगों को यही कहानी बनानी है, तो बनाएं.’

ऑप इंडिया ने बाद में अपनी हेडलाइन बदल कर लिखा: ‘नाबालिग बेटे की हत्या के बाद हिंदू परिवार ने डर से बिहार का गोपालगंज जिला छोड़ा.’ आर्टिकल में एक अपडेट भी जोड़ा गया है: ‘बिहार डीजीपी ने जांच के बाद कहा कि रोहित जायसवाल की मौत के पीछे कोई सांप्रदायिक मामला नहीं है. मृतक के पिता ने बार-बार अपना बयान बदला है.

पिता ने आरोप लगाया था कि मुसलमानों ने मस्जिद की ताकत बढ़ाने के लिए उसके बेटे की बलि दे दी, पुलिस ने अपनी जांच में इसे गलत पाया है. आखिरकार, पिता ने भी अपने आरोपों से किनारा कर लिया है.’

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