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बिहार में 5 सीटों के लिए महागठबंधन में महाभारत,जाने आगे क्या होगा?

बिहार महागठबंधन में महाभारत की नौबत क्यों आई?

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बिहार में 2020 के फाइनल से पहले ही महागठबंधन की टीम बिखरती नजर आ रही है. 21 अक्टूबर को राज्य में पांच सीटों पर उपचुनाव होने हैं. लेकिन महागठबंधन के साथियों ने एक दूसरे के खिलाफ तलवारें खींच ली हैं. लेकिन सवाल ये है कि आखिर महागठबंधन में ये बिखराव क्यों आया? और इसका आने वाले विधानसभा चुनावों में क्या असर पड़ेगा?

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बिहार में किन सीटों पर होने हैं उपचुनाव

लोकसभा सीट

  • समस्तीपुर

विधानसभा सीटें

  • किशनगंज
  • सिमरी बख्तियारपुर
  • नाथनगर
  • बेलहर
  • दरौंदा

किन सीटों पर भिड़ेंगे साथी?

RJD ने पांच में से चार विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. HAM और VIP का कहना है कि आरजेडी ने उनसे कोई सलाह तक नहीं की. RJD ने नाथनगर से रबिया खातून, बेलहर से रामदेव राय, सिमरी बख्तियारपुर से जफर आलम और दरौंदा विधानसभा सीट से उमेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. जवाब में HAM ने नाथनगर  और VIP ने सिमरी बख्तियारपुर में अपना कैंडिडेट खड़ा कर दिया है. RJD ने किशनगंज विधानसभा और समस्तीपुर लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी है लेकिन खबर ये भी चल रही है कि अब कांग्रेस ने भी पांचों विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला कर लिया है.

जीतन राम मांझी ने तो RJD नेता तेजस्वी की मंशा पर शक जता दिया है. उन्होंने कहा - तेजस्वी के लक्षण ठीक नहीं हैं. उनके दिल में NDA के लिए सॉफ्ट कॉर्नर है.

गठबंधन में बिखराव क्यों?

2019 लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से महागठबंधन उबर नहीं पाया है. आम चुनाव में महागठबंधन को 40 में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस को मिली.  बाकी की सारी सीटें NDA गठबंधन के हाथ चली गई.

उसके बाद हुआ ये कि साथी ही एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ने लगे. खासकर HAM और RJD ने एक दूसरे के खिलाफ खूब बयानबाजी की. RJD नेता तेजस्वी और HAM के जीतन राम मांझी के बीच खूब नोकझोंक हुई. मांझी ने तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठाए तो तेजस्वी ने भी जमकर हमला बोला.

बिहार में लालू प्रसाद यादव को महागठबंधन का वो मैगनेट कह सकते हैं जो सबको एक साथ जोड़कर रखता है, लेकिन जब से लालू चारा घोटाले के सिलसिले में जेल गए हैं...उनका अपना कुनबा बिखरता दिख रहा है. ऐसे में महागठबंधन को कौन बांध कर रखे? नतीजा अपनी डफली अपना राग है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में लंबे समय तक वैक्यूम ने भी बिहार में उसकी पकड़ को कमजोर किया है.

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ड्राइविंग सीट पर तो कांग्रेस ही रहेगी. हमने कुछ दिन के लिए दूसरे को ड्राइवर बना दिया था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
वीरेंद्र सिंह राठौर, कांग्रेस नेता

विधानसभा चुनाव पर असर

ये ठीक है कि लोकसभा चुनाव में बिहार का महागठबंधन कोई कमाल नहीं कर पाया. लेकिन विधानसभा चुनाव अलग हैं. पिछले चुनाव में नीतीश-लालू की जुगलबंदी देश देख चुका है. पूरे देश में जब मोदी लहर था तो इस गठबंधन की धार में बीजेपी बह गई थी.

जाहिर है बिहार के अपने चुनाव का तेवर और कलेवर अलग है. मुद्दे अलग हैं. ऐसे में महागठबंधन का एक साथ लड़ना, NDA के लिए कड़ी चुनौती पेश करेगा. लेकिन महागठबंधन के अंदर उपचुनावों में जिस तरह का बिखराव नजर आ रहा है, वो NDA के लिए गुड न्यूज और विपक्ष के लिए बुरी खबर है.

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