9 महीनों से जेल में बंद बिहार (Bihar) के यूट्यूबर मनीष कश्यप (Manish Kashyap) को रिहा कर दिया गया है. 21 दिसंबर को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) से जमानत मंजूर होने के बाद उसे 23 दिसंबर को रिहा किया गया. मनीष कश्यप पटना की बेऊर जेल में बंद था.
मनीष कश्यप पर क्या आरोप है?
मनीष कश्यप के खिलाफ तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी श्रमिकों के फर्जी वीडियो बनाने के आरोप में बिहार और तमिलनाडु पुलिस द्वारा कई मामले दर्ज किए गए थे. मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में काम करने वाले बिहार के निवासियों के बारे में गलत और भ्रामक वीडियो प्रसारित करने का आरोप है. मनीष को शनिवार, 18 मार्च 2023 की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया था.
बिहार के बेतिया में मनीष कश्यप के खिलाफ 7 मामले दर्ज किए गए थे. इसमें बीजेपी विधायक से मारपीट और जान से मारने की धमकी, बैंक मैनेजर से मारपीट का आरोप था. इसके बाद कुर्की-जब्ती का आदेश होने के बाद उसने सरेंडर कर दिया था.
मनीष कश्यप को पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया के जगदीशपुर पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण करने के बाद गिरफ्तार किया गया था.
गिरफ्तारी से रिहाई तक की टाइमलाइन
2016 में पुणे के एक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग पूरी करने वाले कश्यप ने 2018 में अपना यूट्यूब चैनल, 'सच तक न्यूज' शुरू किया. उसने खुद से संबंधित समस्याओं पर सरकारी अधिकारियों से सवाल करके अपने यूट्यूब चैनल को खड़ा करने की कोशिश की.
तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर कथित हमलों के फर्जी वीडियो से संबंधित मामलों के मुख्य आरोपी मनीष कश्यप के खिलाफ कुल ग्यारह मामले दर्ज किए गए हैं.
मनीष कश्यप को 2019 में दो बार गिरफ्तार किया गया था- एक बार बेतिया में किंग एडवर्ड सप्तम की मूर्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में और बाद में पुलवामा हमले के बाद पटना के ल्हासा बाजार में एक कश्मीरी दुकानदार के साथ मारपीट करने के आरोप में.
मनीष ने 2020 में बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गया था. उसे कुल 9,239 वोट मिले थे. बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी के बाद सबसे अधिक वोट मनीष कश्यप को ही मिला था.
बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) और तमिलनाडु पुलिस ने उन पर दो समूहों और समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने की कोशिश के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.
पश्चिम चंपारण में मनीष कश्यप खिलाफ सात मामलों में से छह में उसको जमानत मिल गई थी.
भारतीय स्टेट बैंक की पारस पकड़ी शाखा के तत्कालीन प्रबंधक को कथित तौर पर धमकी देने के बाद पश्चिम चंपारण पुलिस ने 2021 में मझौलिया के डुमरी महनवा गांव में उनके पैतृक घर को जब्त कर लिया था.
मनीष कश्यप का विवादों से पुराना नाता रहा है. वह तब भी चर्चा में आया था, जब पिछले साल उसने गुरुग्राम के एक मॉल में हुई CBI की छापेमारी के बाद मॉल को तेजस्वी यादव का बताया था. बाद में तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने आकर खुद इसकी सच्चाई बताई. इसके बाद से मनीष लगाातर तेजस्वी पर हमलावर रहा.
मनीष कश्यप के खिलाफ तमिलनाडु में 6 मामले दर्ज हुए थे. सिविल कोर्ट का फैसला आने के बाद उसको तमिलनाडु जेल नहीं जाना पड़ा और उसे पटना की ही जेल में रखा गया.
मनीष कश्यप ने 8 मार्च को एक ट्वीट किया था, इसमें उसने कुछ तस्वीरें शेयर कर तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट का दावा किया था. इसके साथ ही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा था. हालांकि, क्विंट हिंदी की वेबकूफ टीम ने जब उन तस्वीरों की पड़ताल की तो वो फर्जी निकलीं.
9 मार्च 2023 को द क्विंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष कश्यप ने एक काल्पनिक वीडियो का स्क्रीनशॉट शेयर किया था. उस वीडियो को 'मनोरंजन के लिए बनाया गया' था. तमिलनाडु पुलिस ने भी वीडियो को स्क्रिप्टेड बताया था.
बिहार पुलिस ने 15 मार्च को मनीष कश्यप और युवराज सिंह राजपूत के लिए गिरफ्तारी वारंट प्राप्त करने के बाद एक स्पेशल टीम का गठन किया था और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अन्य राज्यों में छापेमारी की थी. इसके बाद 18 मार्च को वह गिरफ्तार हुआ था.
28 मार्च 2023 को मनीष कश्यप ने मनीष कश्यप को तमिलनाडु ले जाने का फैसला किया और पुलिस को 14 दिन की रिमांड मिल गई. मनीष पर आरोप था कि तमिलनाडु में कथित तौर पर बिहारी प्रवासियों पर हमले के बारे में सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो फैलाकर दहशत पैदा की थी.
5 अप्रैल को मनीष कश्यप मदुरै जिला अदालत में पेश हुआ और यहां पर उसे मदुरै केंद्रीय जेल भेजने से पहले 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया. इस दौरान मनीष को तमिलनाडु में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था.
21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप की उस याचिका पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत उनकी हिरासत को रद्द करने की मांग की गई थी. इस दौरान कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश भी दिया कि वह प्रवासी मजदूरों पर हमले के फर्जी वीडियो प्रसारित करने के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर मनीष कश्यप को मदुरै सेंट्रल जेल से स्थानांतरित न करे.
8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर मनीष कश्यप की फर्जी वीडियो मामले में याचिका खारिज कर दी थी. इस दौरान मनीष कश्यप अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए फर्जी वीडियो के जरिए तमिलनाडु में बिहारियों पर हमलों के बारे में फर्जी खबरें फैलाने के आरोप में बिहार और तमिलनाडु में उनके खिलाफ दर्ज FIR को एक साथ कल्ब करने की मांग की थी.
10 नवंबर को मनीष कश्यप को बड़ी राहत मिली और मदुरै की एक कोर्ट ने उसे जमानत दे दी और उस पर लगाया गया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) भी हटा लिया गया.
मद्रास हाईकोर्ट ने फर्जी वीडियो मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत यूट्यूबर मनीष कश्यप की हिरासत को रद्द कर दिया.
मनीष कश्यप को हथकड़ी पहने एक व्यक्ति को ट्रेन में यात्रा करते हुए दिखाने वाला वीडियो कथित तौर पर अपलोड करने के मामले 20 दिसंबर को पटना उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी.
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