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बिहार में शिक्षक भर्ती में बदलाव का विरोध, नीतीश कैबिनेट ने क्यों बदला नियम?

Biharमें शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती के लिए BPSC ने 12 जुलाई तक आवेदन मांगा है.

Published
भारत
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बिहार (Bihar) में टीचर बनने के लिए अब राज्य का निवासी होना अनिवार्य नहीं है. नीतीश कैबिनेट ने शिक्षकों की नई संशोधन नियमावली पर मंगलवार (27 जून) को मुहर लगी दी है. कैबिनेट के फैसले पर एक तरफ बिहार में सियासत हो रही है तो दूसरी तरफ विरोध भी शुरू हो गया है.

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कैबिनेट का क्या फैसला?

कैबिनेट ने नई नियमावली के संशोधन को मंजूरी दे दी है. इसके तहत अब शिक्षक नियुक्ति के लिए नई नियमावली में संशोधन कर स्थानीय निवासी होने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है. पहले टीचर भर्ती में बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी था. इसका मतलब है कि अब किसी भी राज्य के कैंडिडेट बिहार में BPSC की परीक्षा में भाग लेकर शिक्षक बन सकेंगे.

बिहार में शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती के लिए BPSC ने 12 जुलाई तक आवेदन मांगा है.

'युवाओं के साथ हुआ धोखा'

बीजेपी ने इसे युवा पीढ़ी के साथ धोखा बताया है और कहा है कि सरकार ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को 30 साल पीछे धकेल दिया है.

बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, "पिछले चार बार से बिहार सरकार CTET, BTET और STET के अभ्यर्थियों को आश्वासन दे रही थी कि मेरिट लिस्ट निकाल कर वह इन लोगों को शिक्षक बनने में सहायता करेगी. लेकिन सरकार ने अब इन अभ्यर्थियों को धोखा दिया है."

सरकार का यहा ऐलान कि जो भी शिक्षक अभ्यर्थी BPSC का एग्जाम पास करेगा वही बिहार में शिक्षक बनने के योग्य होगा, ये अभ्यर्थियों के साथ पूरी तरह से धोखा है.
निखिल आनंद, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी

सरकार ने क्यों किया फैसला?

कैबिनेट के फैसले को बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री और आरजेडी नेता प्रोफेसर चंद्रशेखर ने सही बताया है. शिक्षा मंत्री ने कहा, "बिहार में गणित, अंग्रेजी और विज्ञान विषय के शिक्षक नहीं मिल पाए और उनकी जगह खाली रह जाती है, इसलिए सरकार द्वारा यह फैसला लिया गया है."

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बिहार के बाहर के भी छात्र-छात्राएं बीपीएससी के माध्यम से परीक्षा दे सकें, जिससे बिहार में शिक्षकों के खाली रिक्त पड़े पदों को भरा जा सके. सरकार ने इसी सोच के साथ फैसला किया है.
प्रोफेसर चंद्रशेखर, शिक्षा मंत्री, बिहार

'युवाओं के साथ हुई नाइंसाफी'

बिहार सरकार द्वारा डोमिसाइल नीति को खत्म कर शिक्षक भर्ती नियमावली 2023 में संशोधन करने को लेकर अभ्यर्थियों द्वारा विरोध भी शुरू कर दिया गया है. शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा इसे बिहार के युवाओं के साथ नाइंसाफी बताया है.

'बिहार सरकार का फैसला काला कानून'

शिक्षक अभ्यर्थी दिलीप कुमार ने कहा, "यह काला कानून है. जो CTET, BTET और STET के अभ्यर्थी पढ़ रहे हैं, सरकार के फैसले के बाद वो कहां जाएंगे?"

इस फैसले का असर नियोजित शिक्षकों पर भी पड़ेगा, जिन्हें BPSC की परीक्षा देकर सरकारी टीचर के रूप में समायोजित करने का आश्वासन दिया गया था. ऐसे नियोजित शिक्षक अब क्या करेंगे?
दिलीप कुमार, शिक्षक अभ्यर्थी

बिहार सरकार द्वारा BPSC के जरिए एग्जाम लिए जाने का पहले से ही लगातार शिक्षक संघ और शिक्षक अभ्यर्थियों विरोध कर रहे थे. ऐसे में शिक्षक भर्ती नियमावली 2023 में संशोधन कर डोमिसाइल नीति को खत्म करने का फैसला, बिहार में एक बार फिर गर्माता दिख रहा है.

(इनपुट-महीप राज)

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