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बिलकिस बानो दोषियों की रिहाई पर बोलीं- न्याय व्यवस्था से मेरा विश्वास हिल गया

Bilkis Bano: 15 अगस्त को सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया और जेल के बाहर फूल-माला पहनाकर उनका स्वागत हुआ

Published
भारत
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बिलकिस बानो दोषियों की रिहाई पर बोलीं- न्याय व्यवस्था से मेरा विश्वास हिल गया
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2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार और परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा पाए दोषियों की रिहाई के बाद अपने पहले बयान (Bilkis Bano statement) में, बिलकिस बानो ने कहा कि इस कदम ने न्याय व्यवस्था में उनके विश्वास को हिलाकर रख दिया है. बिलकिस बानो की ओर से उनकी वकील शोभा द्वारा जारी इस बयान के अनुसार बिलकिस बानो ने कहा है कि गुजरात सरकार इस फैसले को वापस ले तथा शांति से और निडर होकर जीने का अधिकार लौटाए.

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"15 अगस्त को 20 सालों का सदमा मुझपर फिर से टूट पड़ा"

बिलकिस बानो ने लिखा है कि ""दो दिन हुए, 15 अगस्‍त 2022 को मुझपर जैसे पिछले 20 साल का सदमा टूट पड़ा जब मैंने सुना कि जिन 11 दोषियों ने मेरा पूरा जीवन नष्ट किया, मेरी आंखों के सामने मेरे परिवार को खत्म किया और मेरी 3 साल की बेटी को मुझसे छीन ली, वो सभी आजाद हो गए हैं."

"ये सुनने के बाद मेरे पास कोई शब्‍द नहीं थे. मैं सुन्न और खामोश सी हो गयी हूं. आज मैं केवल यही कह सकती हूं- क्या एक औरत को दिए गए न्याय का अंत यही है? मैंने अपने देश के सर्वोच्‍च कोर्ट पर विश्वास रखा, मैंने इस व्यवस्था पर भरोसा किया और मैं धीरे-धीरे सदमे के साथ जीना सीख रही थी.इनकी रिहाई ने मुझसे मेरी शांति छीन ली और न्याय व्यवस्था से मेरा विश्वास हिला दिया है"
बिलकिस बानो

बिलकिस बानो ने आगे कहा कि " इस दोषियों को रिहा करने के इतने बड़े और अन्यायपूर्ण फैसले से पहले मुझसे किसी ने नहीं पूछा. मेरी सुरक्षा और बहाली के बारे में किसी ने नहीं सोचा. गुजरात सरकार इस फैसले को वापस ले तथा शांति से और निडर होकर जीने का अधिकार लौटाए."

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बता दें कि 21 जनवरी, 2008 को मुंबई में एक विशेष सीबीआई कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और सामूहिक बलात्कार के आरोप में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा.

हालांकि 15 अगस्त 2022 को आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर उन्हें रिहा कर दिया और फूल-माला पहनाकर, मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया गया.

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