दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में पूर्व बीजेपी नेता कुलदीप सेंगर को दोषी करार देते हुए जो कहा है, उसे आप योगी सरकार की विश्वसनीयता पर गंभीर टिप्पणियां की हैं. कोर्ट ने कहा है कि उन्नाव की रेप सर्वाइवर ने जब इंसाफ के लिए सीएम को चिट्ठी लिखी तो उसके परिवार पर केस दर्ज होने लगे. कोर्ट ने सीबीआई को लेकर जो कहा है, वो इस केंद्रीय जांच एजेंसी पर सवाल उठाती है, कोर्ट ने सीबीआई की लेटलतीफी पर सवाल उठाए हैं.
दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 के उन्नाव अपहरण-रेप केस में दोषी करार दिया है. हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में सह-आरोपी शशि सिंह को बरी कर दिया है. इस केस में कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को लेकर 17 दिसंबर यानी मंगलवार को कोर्ट में दलीलें पेश की जाएंगी.
कोर्ट ने माना कि जब पीड़िता ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेटर लिखा तो सर्वाइवर के परिवार वालों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराए गए और इनमें सेंगर का हाथ था. रेप केस में CBI के चार्जशीट फाइल करने में देरी होने पर कोर्ट ने हैरानी जताई.
बता दें कि सेंगर को पॉक्सो कानून के तहत दोषी ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने ये साबित किया है कि सर्वाइवर नाबालिग थी. कोर्ट में जज ने कहा कि “मुझे उसके बयान सच्चे लगे, जिसमें उसने कहा कि उसका यौन उत्पीड़न हुआ. उसको धमकी दी गई थी, वो दुखी थी. वो एक गांव की लड़की है, शहरी-शिक्षित इलाके की नहीं थी. जबकि सेंगर दबंग व्यक्ति है. इसलिए उसने वक्त लिया.”
सेंगर पर क्या आरोप लगे थे?
सेंगर पर महिला को 2017 में नाबालिग रहते हुए कथित रूप से अगवा कर उसके साथ रेप करने के आरोप लगे. कोर्ट ने इस मामले में सह आरोपी शशि सिंह पर भी आरोप तय किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में दर्ज सभी 5 मामलों को एक अगस्त को उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित कोर्ट से दिल्ली स्थित कोर्ट में ट्रांसफर करते हुए निर्देश दिया था कि रोजाना आधार पर सुनवाई की जाए और इसे 45 दिनों के अंदर पूरा किया जाए. रेप मामले में बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान अभियोजन के 13 गवाहों और बचाव पक्ष के नौ गवाहों से जिरह हुई.
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