देश में मंदी को लेकर बहस छिड़ी है और मंदी को लेकर केंद्र सरकार की ओर से लगातार सफाई दी जा रही है. लेकिन उत्तर प्रदेश के बलिया से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने मंदी को लेकर अलग ही तर्क दे दिया है, उनका कहना है कि अगर मंदी होती तो लोग कोर्ट और जैकेट नहीं पहनते.
बीजेपी सांसद शिक्षकों के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा भारत सिर्फ महानगरों का नहीं गांवों का देश है. ये केवल दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े महानगरों का नहीं, बल्कि 6.5 लाख गांवों का देश है. सांसद ने कहा कि इस समय मंदी को लेकर बहस चल रही है.
‘अगर मंदी होती तो हम सब लोग खाली कुर्ता, धोती पहनकर आए होते, मंदी होती तो चादर नहीं होती ,जैकेट नहीं होती, कोट नहीं होता.’वीरेंद्र सिंह मस्त, सांसद बीजेपी
'बैंक में सबसे ज्यादा गांव के लोग पैसा जमा कराते हैं'
वीरेंद्र सिंह ने कहा बैंकिंग रिपोर्ट बताती है कि बैंक में सबसे ज्यादा पैसा गांव में रहनेवाले लोग जमा करते हैं. अनाज बेचेने वाले, सब्जी बेचने वाले, फल बेचने वाले, ठेला लगाने वाले और रेहड़ी लगाने वाले जो गांव में रहते हैं वे बैंकों में पैसा जमा कराते हैं. उन्होंने कहा महानगरों में पैसा जमान नहीं होता, आप बैंक रिपोर्ट देख लीजिए.
'मंदी मेहनत से पैसा जमा करने वालों के लिए नहीं'
सांसद ने कहा, मंदी उनके लिए नहीं जो मेहनत से पैसा जमा कर रहे हैं. मंदी उनके लिए है जिनके लिए सरकार ने कानून बना दिया है. मेहनत से पैसा जमा करनेवाले लोगों का पैसा महानगरों को लूटने नहीं दिया जाएगा. और बैंक का पैसा लूटोगे तो कानून तुम्हारे खिलाफ काम करेगा.
बीजेपी सांसद ने सवाल किया कि मंदी का संकट होता तो त्योहारों में, शादियों में, बारातों में किया जाने वाला खर्च कम क्यों नहीं हो रहा?
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की ग्रामीण एवं कृषि अर्थव्यवस्था इस कदर सुदृढ़ है कि दुनिया भले ही मंदी की चपेट में आ जाये, भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
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