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लोकसभा चुनाव खत्म होते ही सभी प्लेटफॉर्म से गायब हुआ Namo TV

नमो टीवी पर हुआ था विवाद, विपक्ष ने चुनाव आयोग से की थी शिकायत

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भारत
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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हुआ Namo TV चैनल चुनाव खत्म होते ही रहस्यमयी तरीके से सभी डीटीएच प्लेटफॉर्म से गायब हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी और पीएम मोदी की उपलब्धियों का गुणगान करने वाला ‘नमो टीवी’ अब डीटीएच प्लेटफॉर्म पर नहीं दिख रहा है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की वोटिंग के बाद 20 मई को ये चैनल सभी प्लेटफॉर्म से गायब हो गया.

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11 अप्रैल को पहले फेज की वोटिंग शुरू होने से पहले लोग अपनी टेलीविजन स्क्रीन पर ‘नमो चैनल’ को देखकर चौंक गए थे. इसके बाद से ही इस चैनल को लेकर विरोध शुरू हो गया था. हालांकि, बीजेपी इस चैनल से किनारा करती नजर आई थी, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि चैनल को बीजेपी आईटी सेल की देखरेख में ही ऑपरेट किया जा रहा था.

Namo TV के लिए नहीं ली गई थी कोई परमीशन

ऐन चुनाव के वक्त 24 घंटे बीजेपी का प्रचार कर रहे इस चैनल के खिलाफ विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी. आयोग को एक लेटर लिखकर पूछा कि क्या आचार संहिता के बाद भी किसी पार्टी को अपना टीवी चैनल चलाने की अनुमति दी जा सकती है? अगर इसके लिए कोई परमीशन नहीं ली गई है तो क्या एक्शन लिया जा सकता है?

नमो टीवी किसी कानून के तहत नहीं चल रहा था लेकिन ये किसी कानून का उल्लंघन भी नहीं कर रहा था. ये चैनल सैटेलाइट चैनलों की लिस्ट में नहीं था. इसे न्यूज नहीं विज्ञापन का चैनल बताया गया. इसलिए ये सैटेलाइट चैनलों के लिए बने कानून के तहत कवर नहीं होता.

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बाद में माना था कि ये बीजेपी का ही चैनल है. जबकि टाटा स्काई ने पहले बताया था कि इस चैनल के लिए कंटेंट बीजेपी इंटरनेट के जरिए भेज रही है.

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Namo TV पर लाइव के लिए EC की हरी झंडी

बीजेपी की ओर से चलाए जा रहे ‘नमो टीवी’ पर चुनाव आयोग ने चैनल के पक्ष में फैसला सुनाया था. आयोग ने कहा था कि टीवी पर इस चैनल का लाइव प्रसारण किया जा सकता है लेकिन चैनल पर कोई भी पहले से रिकॉर्ड प्रोग्राम वोटिंग से 48 घंटे पहले से नहीं चलेगा. इस आदेश का ठीक से पालन हो इसके लिए सभी राज्यों के मुख्य चुनाव आयुक्तों को निगरानी रखने के लिए भी कहा गया था.

आयोग के इस फैसले में इस बात पर जोर दिया गया था कि ‘नमो टीवी’ देखने से वोटरों पर असर न पड़े. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के सेक्शन 126 के मुताबिक, वोटिंग से 48 घंटे पहले से ही कोई भी चुनावी मैटर फिल्म, टीवी या किसी और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रसारित नहीं किया जा सकता है.

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