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'मोदी G.O.A.T', 'नमो OP'.. चुनाव के बीच बीजेपी कैसे Gen Z वोटरों को रिझा रही है?

बीजेपी के एक म्यूजिक वीडियो में पीएम 'नेक्स्ट जेन के ग्रीन फ्लैग' हैं तो वहीं उसके मीम में 'पेपे द फ्रॉग' का इस्तेमाल है.

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भारत
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"वो 2047 के लिए चौबीसों घंटे हसल (मेहनत) कर रहे हैं, यो! मोदी को वोट दो, G.O.A.T को वोट दो"

पिछले हफ्ते भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल (पहले ट्विटर) पर एक म्यूजिक वीडियो पोस्ट किया था. यह लाइन उसी के बोल का हिस्सा हैं.

G.O.A.T माने ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम (अब तक का सबसे महान)

यकीनन, यह लेटेस्ट वीडियो युवा वोटरों को लुभाने के लिए उनतक अपनी पहुंच और संदेश को तेजी से बढ़ाने के सरकार के हालिया प्रयासों में से एक है.

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इसी वीडियो में आगे के लिरिक्स हैं:

"वोट, वोट, वोट.. वोट फॉर द GOAT, मोदी को जाएगा अपना फर्स्ट वोट!"

अब, आप बूमर और मिलेनियल हैं और आपको समझ नहीं आ रहा कि यहां किन टर्म का प्रयोग हो रहा, तो मैं आपके लिए इसको आसान करती हूं.

अब देखिये कि बीजेपी अपने वीडियो में कैसे स्लैग प्रयोग कर रही: 'FYI', 'ईट्स गिविंग मी यस्टरडे,' 'मोदी हैं नेक्स्ट जेन के ग्रीन फ्लैग' और 'मोदी डजनॉट लैग वी नीड समवन हू गॉट ऑल द स्वैग'. इतना ही नहीं इसमें 'प्रोग्रेस इज कोडेड, मोदी इज द GOAT' का भी प्रयोग है.

वैसे आखिरी वाला तकनीकी रूप से पूरी तरह सही नहीं है. 'कोडेड' स्लैंग का अनिवार्य रूप से मतलब कुछ ऐसा होता है जिसमें विशेष या एक जैसे लक्षण होते हैं. जैसे कि लड़कियों से जुड़ी गतिविधियों को 'गर्ल्स कोडेड' कहा जाएगा या यदि कोई समलैंगिक है तो उन्हें 'क्वीर कोडेड' कहा जाएगा. इस तरह, इस गाने में 'प्रोग्रेस कोडेड' स्लैग का प्रयोग होना चाहिए था.

इस म्यूजिक वीडियो में कहा गया है कि पीएम मोदी की वजह से लोग 'काले धन को घोस्ट' कर रहे हैं, विश्व स्तर पर, हर कोई अब 'भारत का सिंप' है.

घोस्ट करने का मतलब होता है अचानक से किसी को देखना बंद कर देना या उसे अपनी जिंदगी से बाहर कर देना. वहीं सिंप का अर्थ होता है किसी का फैन होना या उसका लवर होना.

इन स्लैंग को केवल तुकबंदी के लिए एक साथ फिट किया गया है. ऐसा लग रहा जैसे किसी बूमर ने अभी-अभी जेन जेड स्लैंग्स की खोज की है और उन सभी को एक ही बार में एक साथ गाने में इस्तेमाल करने का फैसला किया है. और इसका नतीजा क्या हुआ? यह थोड़ा जबरदस्ती लग रहा है.
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यह वीडियो सड़क, अर्थव्यवस्था, युवाओं के लिए स्टार्टअप, काले धन, भ्रष्टाचार पर बीजेपी के सभी दावों को एक साथ समेटने का प्रयास करता है.

यह इस हद तक किया गया है कि वीडियो में 'यूथ' गाता है, "दुःख, दर्द, पीड़ा को भी अब होता है FOMO, क्योंकि दशकों पुरानी समस्याओं को कह दिया है NO-MO."

FOMO का अर्थ है पीछे छूट जाने का डर. वहीं NO-MO का मतलब नो-मोर से है यानी अब और नहीं.

एक्स पर वीडियो को 980 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं.

'नमो OP' वाला प्रयास

चुनाव शुरू होने से कुछ दिन पहले, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 'भारत के टॉप गेमर्स' से भी मुलाकात की थी. इसी मुलाकात में गेमर्स ने उन्हें 'नमो OP' नाम दिया था.

OP मतलब ओवर-पावर्ड. इस टर्म का उपयोग अक्सर गेमर्स और यूट्यूबर्स करते हैं.

इन गेमर्स में अनिमेष अग्रवाल, मिथिलेश पाटणकर, पायल धारे, नमन माथुर, अंशू बिष्ट, तीर्थ मेहता और गणेश गंगाधर शामिल थे. इन सभी ने पीएम मोदी के साथ अपनी मुलाकात से जुड़े रील बनाए और पोस्ट किए.

तो, यह मुलाकात इंस्टाग्राम पर प्रमोशनल वीडियो में भी बदल गई. पीएम मोदी पोस्ट पर 'कोलैबोरेटर' हैं.

उन्होंने पीएम मोदी के साथ अलग-अलग रील टीजर और व्यक्तिगत पोस्ट के रूप में पोस्ट कीं. दरअसल, इन गेमर्स में से एक, नमन माथुर को हाल ही में बीजेपी नेता डॉ. संजीव नाइक ने सम्मानित भी किया था.

एक्स पर कई लोगों ने इस मुलाकात पर रिएक्सन देते हुए कहा कि पीएम पत्रकारों या मनिपुर के स्थानीय लोगों को छोड़कर सबसे मिल लेंगे.
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'पेपे द फ्रॉग' का मीम भी बीजेपी के प्रचार में

बीजेपी की तेलंगाना यूनिट ने एक वीडियो पोस्ट किया था जिसपर काफी विवाद हुआ.

उसने 'पेपे द फ्रॉग' का इस्तेमाल किया. यह भले ही सिंपल दिखता है, लेकिन इसका इतिहास विवादित रहा है.

वीडियो में पेपे द फ्रॉग को एक मूर्ति का पैर छूते हुए देखा जा सकता है जो शायद भगवान राम की है. फिर मुगल इतिहास, बाबरी मस्जिद विध्वंस, चरम दक्षिणपंथी हिंदुत्व नेताओं से लेकर पीएम मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखने तक फैला हुआ दशकों का दृश्य सामने आता है.

अमेरिकी कलाकार मैट फ्यूरी ने 2005 में अपनी कॉमिक सीरीज बॉयज क्लब के लिए 'पेपे द फ्रॉग' बनाया जिसका तकियाकलाम था 'फील्स गुड मैन'.

हालांकि इस सिंपल से दिखने वाले करैक्टर को तुरंत 4chan, 8chan और Reddit जैसे इंटरनेट मंचों पर एक मीम बना दिया गया. इसका उपयोग अब ज्यादातर नस्लवादी और यहूदी-विरोधी विचारों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है. यह फेसबुक और ट्विटर पर वायरल है.

2014 और 2015 के बीच, दक्षिणपंथी सोशल मीडिया यूजर्स के एक अलग ग्रुप, Alt-Right movement ने बार-बार पेपे को शेयर किया और मीम को सोशल मीडिया पर अपना लिया गया. 2015 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी खुद को पेपे मीम के रूप में पोस्ट किया था.

प्रधानमंत्री ने युवा मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने की तैयारी कर ली है, चाहे वह एक म्यूजिक वीडियो के माध्यम से हो, गेमर्स से मिलना हो या मीम्स के जरिये हो. गेमर्स ने शायद सही ही कहा था:

भारत में सबसे बड़ा इन्फ्लुएंसर कौन है? हमारे प्रधान मंत्री!"

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