फाइनेंशियल ईयर (FY) 2018-19 में देश की सत्ता में काबिज बीजेपी को 14,50,89,05,000 (1,450 करोड़) रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड हासिल हुए हैं. जबकि कांग्रेस को 3,83,26,01,000 (383 करोड़) रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड मिले. ये खुलासा पॉलिटिकल पार्टियों की ओर से चुनाव आयोग को दी गई रिपोर्ट में हुआ है.
2018-19 में कुल 2,551 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड बिके. इसमें से सबसे बड़ा कुल 57 फीसदी हिस्सा बीजेपी को मिला. कांग्रेस को 15 फीसदी बॉन्ड मिले.
वित्त वर्ष 2017-18 में 222 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड सिर्फ मार्च 2018 के महीने में बिके थे. इसमें से बीजेपी को 95 फीसदी हिस्सा मिला, जिसकी कीमत 210 करोड़ रुपये थी.
दो फाइनेंशियल ईयर (2017-18 और 2018-19) में बिके कुल इलेक्टोरल बॉन्ड का लगभग 60 फीसदी यानी 2,773 करोड़ रुपये बीजेपी ने हासिल किए.
हम ये तो जानते हैं कि किस राजनीतिक पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कितना चंदा मिला है, लेकिन हम ये नहीं जानते कि आखिर इन पार्टियों को चंदा किसने दिया. इसका कारण ये है कि पॉलिटिकल पार्टियों को चंदा देने वाले शख्य या कंपनी के नाम की जानकारी चुनाव आयोग को देना आवश्यक नहीं है.
28 में से सिर्फ 7 राजनीतिक पार्टियों को मिले बॉन्ड
द क्विंट ने पहले बताया था कि 20 राष्ट्रीय और राज्य के राजनीतिक पार्टियों ने 22 नवंबर 2019 तक चुनाव आयोग को सालाना ऑडिट रिपोर्ट दी थी. इस ऑडिट रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद, पाया था कि 20 में से सिर्फ 5 राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा मिला था, जिनकी कीमत 587 करोड़ रुपये (लगभग) थी.
अब तक, 28 राष्ट्रीय और राज्य के राजनीतिक पार्टियों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए चुनाव आयोग को सालाना ऑडिट रिपोर्ट दाखिल की है. 28 राजनीतिक पार्टियों में से, सिर्फ 7 दलों ने इलेक्टोरल बॉन्ड हासिल किए.
- भारतीय जनता पार्टी: 1,450 करोड़ रुपये (लगभग)
- इंडियन नेशनल कांग्रेस: 383 करोड़ (लगभग)
- बीजू जनता दल (BJD): 213.50 करोड़ (लगभग)
- तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS): 141.50 करोड़ (लगभग)
- तृणमूल कांग्रेस (TMC): 97.28 करोड़ (लगभग)
- जनता दल यूनाइटेड (JDU): 35.25 करोड़ (लगभग)
- वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP): 99.84 करोड़ (लगभग)
सालाना ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ बड़े राजनीतिक दल जैसे बीएसपी, एसपी, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा नहीं मिला. 2551 करोड़ रुपये में से 11 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड अकाउंट में नहीं लिए गए, जो नियम के अनुसार प्रधानमंत्री राहत कोष में चले गए.
अब तक, मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच 12 फेज में इलेक्टोरल बॉन्ड 6,128 करोड़ के बिके हैं.
इलेक्टोरल बॉन्ड पर द क्विंट की जांच रिपोर्ट के आधार पर, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई थी. इस पर अगली सुनवाई 20 जनवरी को हो सकती है. पिछली बार इसकी सुनवाई अप्रैल, 2019 में हुई थी.
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