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ब्लैक फंगस: 11 राज्यों में सामने आए मामले, समझ लीजिए जरूरी सावधानी

ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र में, बिहार भी दिखे कई मामले

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भारत
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कोरोना से ठीक होने वाले या संक्रमण के दौरान मरीजों में म्यूकोरमाइक्रोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले आ रहे हैं. ऐसे केस अब तक देश के 11 राज्यों में दिख चुके हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स, दिल्ली) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक कई राज्यों में तो 500 से ज्यादा केस आए हैं. आइए आपको बताते हैं ब्लैक फंगस का असर कहां-कहां दिखा है और इससे बचने के लिए क्या सावधानियां जरूरी हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने हाल ही में ट्वीट कर बताया कि आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस में तकलीफ, धुंधला दिखना, उल्टी में खून आना या मानसिक स्थिति में बदलाव ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं.
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हरियाणा

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर बताया कि राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइक्रोसिस) को नोटिफाइड डिजीज(अधिसूचित रोग) घोषित कर दिया है. इससे बीमारी के बारे में सूचनाओं को एकत्रित करने में आसानी होगी. ब्लैक फंगस के नए मामले मिलने पर डॉक्टर अब जिले के सीएमओ को रिपोर्ट करेंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में अभी तक 50 से ज्यादा म्यूकोरमाइक्रोसिस के मामले सामने आए हैं. इनमें से 27 मरीज रोहतक पीजीआई पहुंचे, हिसार के अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में 6 मरीज और गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में 10 मरीज भर्ती हो चुके हैं.

दिल्ली

दिल्ली में ब्लैक फंगस के अभी तक कुल 160 मरीज मिले हैं, जो कि विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं. एम्स में इसके 23 मरीजों का इलाज हो रहा है.

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस से 52 लोगों की मौत हो चुकी है. अखबार द हिंदू ने राज्य के एक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का हवाले से लिखा कि सभी कोरोना से ठीक हो गए थे. स्वास्थ्य विभाग ने म्यूकोरमाइक्रोसिस से होने वाली मौतों को लेकर पहली बार एक सूची तैयार की थी. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार (12 मई) को बताया कि राज्य में ब्लैक फंगस के 1500 मामले हैं.

बिहार

राजधानी पटना में 15 मई को ब्लैक फंगस के 10 नये मरीज में से आठ पटना एम्स में, आईजीआईएमएम और पारस अस्पताल में एक-एक मरीज भर्ती हुए. बिहार के सरकारी और कुछ निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस के कुल 29 मरीज भर्ती हैं.

ओडिशा

ओडिशा में सोमवार (10 मई) को पहला ब्लैक फंगस का मामला 71 वर्षीय मधुमेह के मरीज में सामने आया. मरीज 20 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुआ था. इसके बाद से वह होम आईसोलेशन में थे. आंखों में सूजन आने पर शनिवार को एसयूएम अल्टमेट मेडिकेयर में 71 वर्षीय मरीज को भर्ती कराया गया. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस की निगरानी को लेकर सात सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है.

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गुजरात

अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में अब तक 100 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं. इसमें 40 मरीज अहमदाबाद के जाइडस अस्पताल औऱ 35 मरीज बड़ोदरा के एसएसजी अस्पताल में इलाज हो रहा है. राज्य के सूरत, राजकोट, भावनगर में भी ब्लैक फंगस के कई केस आए हैं. इसको देखते हुए गुजरात सरकार ने 8 मई को घोषणा की थी कि वह 5000 एंडी फंगल ड्रग के इंजेक्शन खरीदेगी.

केरल

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बताया कि राज्य में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं. राज्य चिकित्सा बोर्ड अध्ययन के लिए नमूने इकट्ठा कर रहा है. इसके बाद ही पता लगेगा कि राज्य में कितने मामले हैं.

राजस्थान

राजस्थान के भीलवाड़ा में ब्लैक फंगस के आठ मरीज हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों को जयपुर रेफर किया जा रहा है. दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार जोधपुर में अब तक तीन जटिल मामले आ चुके हैं. एमडीएम अस्पताल में एक महिला की एक आंख तक फंगस पहुंचने के मामले में महिला की एक आंख को पूरी तरह से निकालना भी पड़ा.

कनार्टक

कनार्टक में भी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले आ रहे हैं. अखबार द हिंदू की एक खबर के मुताबिक बेंगुलरु के विभिन्न अस्पतालों में ब्लैक फंगस के करीब 75 मामले सामने आए हैं.

तेलंगाना

हैदराबाद में ब्लैक फंगस के करीब 60 मामले सामने आए हैं. जिसमें से 50 मामले पिछले एक महीने के अंदर जुबली हिल्स के अपोलो अस्पताल में आए हैं. कंटीनेंटल अस्पताल और एस्टर प्राइम अस्पताल में पांच-पांच मामले सामने आए हैं.

मध्य प्रदेश

दमोह में ब्लैक फंगस के चार मामले सामने आए हैं. यह जानकारी 14 मई को एक स्वास्थ्य अधिकारी ने दी. इन चार मरीजों के इलाज के लिए नागपुर, जबलपुर, भोपाल और इंदौर भेजा दिया गया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार(12 मई) को बताया था कि राज्य में अब तक कुल ब्लैक फंगस के 50 मामले सामने आए हैं.

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स्टेरॉयड लेने से पहले क्या सावधानियां बरतें?

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने ब्लैक फंगस होने का एक प्रमुख कारण स्टेरॉयड के दुरुपयोग को बताया है. कोरोना के मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में ब्लैक फंगस को कैसे रोका जा सकता है? इसे रोकने के लिए डॉ. रणदीप गुलेरिया ने अस्पतालों से इन्फेक्शन कंट्रोल प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की.

आईसीएमआर ने अपने ट्विटर हैंडल से 9 मई को ट्वीट कर एक एडवायजरी जारी की थी. जिसमें कि डॉक्टर की सलाह के बिना स्टेरॉइड न लेने की सलाह दी गई है.

डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक ब्लैक फंगस का सबसे प्रमुख कारण स्टेरॉयड्स का गलत इस्तेमाल है. क्विंट से बात करते हुए डॉ. अर्पणा महाजन कंसलटेंट और ईएनटी (फोर्टिस, फरीदाबाद) ने कहा कि सामान्य मरीजों में ब्लैक फंगस के तीव्र प्रसार का कारण स्टेरॉयड का विवेकहीन प्रयोग है. स्टेरॉयड केवल डॉक्टर की देखरेख में लेना चाहिए है. डॉ. महाजन के मुताबिक शुरुआती 5-7 दिनों में स्टेरॉयड नहीं लेना चाहिए. उसके बाद भी मरीज की हालत देखकर डॉक्टर के निर्णय के बाद ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए है.

ब्लैक फंगस का कोरोना कनेक्शन

डॉ. गुलेरिया के मुताबिक कोरोना के कारण इसके मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं. कोविड से पहले इस संक्रमण (ब्लैक फंगस) के काफी कम मामले होते थे. एम्स में ब्लैक फंगस के जिन 23 मरीजों का इलाज हो रहा है उनमें से 20 मरीज कोरोना पॉजिटिव हैं. तीन मरीज कोरोना से ठीक हो चुके हैं. डॉ. गुलेरिया ने बताया कि ब्लैक फंगस चेहरे, नाक, आंख की परत या मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है. जिस कारण देखने की क्षमता भी जा सकती है. यह फेफड़ों में भी फैल सकता है. ब्लैक फंगस संक्रमण उन लोगों को अधिक होने की संभावना होती है, जो मधुमेह से पीड़ित हैं, कोविड संक्रमित हैं और स्टेरॉयड ले रहे हैं.

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