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वैक्सीनेशन से खून का थक्का जमने या रिसाव के केस देश में कम-रिपोर्ट

कमिटी ने गंभीर श्रेणी के 498 मामलों का रिव्यू किया है, इनमें से 26 केस में खून के थक्के जमने के मामले मिले हैं.

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भारत
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वैक्सीनेशन के साइड इफैक्ट पर चल रही बहसों के बीच AEFI ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पेश की है. एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (AEFI) की रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीनेशन के बाद थक्के जमने या खून के रिसाव के मामले देश में बेहद कम आए हैं.

वैक्सीन ड्राइव की शुरुआत से अब तक देशभर के 684 जिलों से 23 हजार एडवर्स इवेंट की शिकायतें CoWin प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट की गई हैं. इनमें से सिर्फ 700 केस ही गंभीर श्रेणी के बताए जा रहे हैं.

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AEFI कमिटी ने गंभीर श्रेणी के 498 मामलों का रिव्यू किया है, इनमें से 26 केस में ही खून के थक्के जमने के मामले मिले हैं. ये मामले कोविशिल्ड वैक्सीन के लगाए जाने के बाद हैं. इस हिसाब से बताया गया है कि ऐसे खून के रिसाव या खून के थक्के जमने के मामले 0.61 केस प्रति मिलियन हैं.रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा कोई भी मामला कोवैक्सीन वैक्सीन के बाद रिपोर्ट नहीं किया गया है.

दूसरे देशों की तुलना में भारत में कम केस

दूसरे देशों से इसकी तुलना करें तो भारत के 0.61 केस प्रति मिलियन के मुकाबले UK में ये 4 केस प्रति मिलियन है. जर्मनी में तो प्रति मिलियन डोज पर ऐसे 10 मामले सामने आए हैं. ऐसे में तुलनात्मक आधार पर कहा जा सकता है कि इन देशों की तुलना में भारत में कम मामले ऐसे नजर आ रहे हैं.

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि यूरोपीय मूल के लोगों की तुलना में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के लोगों में एडवर्स मामलों का ये जोखिम लगभग 70 प्रतिशत कम है.

इस बात पर चर्चा कहां से शुरू हुई?

अप्रैल के महीने में ही ऐसी रिपोर्ट्स सामने आईं कि वैक्सीनेशन के साइड इफैक्ट्स हो रहे हैं. यूरोपीय दवा नियामक (EMA) की स्टडी में बताया गया कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगने के बाद खून के थक्के जम सकते हैं. यूरोपीय दवा नियामक ने बताया कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन और खून के थक्कों के बीच संबंध पाया गया है. हालांकि, ये भी कहा गया है कि वैक्सीन की वजह से जोखिम के मुकाबले इसे लगवाने के ज्यादा फायदे हैं.

दुनिया के कई देशों में इस पर चर्चा शुरू हो गई, कई यूरोपीय देशों में वैक्सीनेशन को रोके भी जाने की रिपोर्ट्स सामने आईं. एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्रोड्यूस कर रहा है और इसे कोविशिल्ड के नाम से जाना जाता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी

अब ऐसे मामलों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने हेल्थकेयर वर्कर्स और वैक्सीन लगवाने वालों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में ऐसा बताया गया है कि खासकर कोविशिल्ड वैक्सीने के केस में 20 दिन के भीतर ऐसे किसी एडवर्स इवेंट के प्रति सतर्क रहें और लक्षण दिखने पर जहां वैक्सीन लगवाई गई है वहां सूचित करें.

लक्षण हैं- सांस फूलना, सीने में दर्द, पेट में दर्द, इंजेक्शन जहां लगी हैं वहां कई सारे लाल दाने दिखना, सिर में दर्द, शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी या पैरालिसिस, बिना किसी वजह के उल्टी आना, देखने में दिक्कत होना, या आंख में दर्द, डबल विजन, मेंटल स्टेटस में बदलाव, डिप्रेशन.

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