बॉम्बे हाईकोर्ट ने 28 अगस्त को सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका खारिज कर दी. भारद्वाज को 11 और लोगों के समेत भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कथित माओवादी संबंधों के लिए गिरफ्तार किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अपनी रिट पेटिशन में सुधा भारद्वाज ने जेलों में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के मद्देनजर स्वास्थ्य आधार पर जमानत मांगी थी. वो इस समय मुंबई की बायकुला महिला जेल में हैं.
कोर्ट ने याचिका के जवाब में कहा कि सरकार जेल में मेडिकल मदद देती रहेगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस आरडी धानुका और वीजी बिष्ट की एक डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार की जेल रिपोर्ट को देखा. इस रिपोर्ट में कहा गया कि एक मेडिकल अफसर ने भारद्वाज की जेल में जांच की है और उनकी स्थिति 'स्थिर और संतोषजनक' पाई गई है.
सुधा भारद्वाज की याचिका
मेडिकल आधार पर स्पेशल NIA कोर्ट से अंतरिम जमानत के लिए याचिका खारिज होने के बाद सुधा भारद्वाज ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की थी. भारद्वाज की वकील रागिनी आहूजा ने कथित तौर पर बताया कि भारद्वाज डायबिटीज और हाइपरटेंशन की मरीज हैं और ये को-मोर्बिडिटी उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने के खतरे को बढ़ाती हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आहूजा ने ये भी कहा कि 23 जुलाई की मेडिकल रिपोर्ट में अंतर्विरोध है, जिसमें कहा गया कि भारद्वाज के वाइटल पैरामीटर बढ़े हुए हैं और उनके दिल तक कम खून पहुंच रहा है.
रागिनी आहूजा ने कहा कि भारद्वाज को ठीक इलाज चाहिए और अंतरिम जमानत की मांग की.
“दो रिपोर्ट एक-दूसरे के उलट हैं और 21 अगस्त की रिपोर्ट बोगस हो सकती है. कोई इंसान दिल की परेशानी से सिर्फ चार हफ्तों में कैसे उबर सकता है.”रागिनी आहूजा, सुधा भारद्वाज की वकील
NIA का जवाब
NIA के लिए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और दूसरी तरफ पब्लिक प्रोसिक्यूटर दीपक ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि अगर भारद्वाज को अस्पताल जाने की जरूरत होगी तो अथॉरिटी उसका इंतजाम करेंगी, जैसे वरवर राव के लिए किया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, NIA और राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि वो जेलों में कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं.
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट देखी और वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कथित रूप से कहा कि मौजूदा मेडिकल रिपोर्ट ने जहां तक है कोरोना वायरस के संबंध में भारद्वाज के वाइटल पैरामीटर देखे होंगे. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की इस बात में कोई दम नहीं है कि मेडिकल रिपोर्ट्स में कुछ गड़बड़ी है.
कोर्ट ने कहा, "हमारी नजर में जमानत मिलने का केस नहीं बनता है."
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