बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने अपने हाल के एक फैसले में कहा कि किसी गतिविधि को यौन हमले की श्रेणी में तभी माना जाएगा, जब 'यौन इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क' हुआ हो. फैसले में कहा गया कि 'सिर्फ जबर्दस्ती छूना' यौन हमले की श्रेणी में नहीं आएगा.
हाई कोर्ट ने ये सब एक यौन हमले के आरोपी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा. आरोपी पर एक नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने का आरोप है.
कोर्ट ने कहा कि महज नाबालिग का सीना छूने से ये यौन हमला नहीं कहलाएगा. फैसले में कहा गया कि जब तक आरोपी पीड़ित के कपड़े हटा कर या कपड़ों में हाथ डालकर फिजिकल कॉन्टैक्ट नहीं करता, इसे यौन हमला नहीं माना जाएगा.
जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला की सिंगल-जज बेंच ने फैसला सुनाते हुए शख्स के कन्विक्शन में बदलाव भी किया.
सुनवाई के दौरान जज ने कहा ककि POCSO कानून के तहत यौन हमले में यौन इरादे से हमला करने और बिना पेनिट्रेशन के बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स को छू कर फिजिकल होना या आरोपी का बच्चे से अपना प्राइवेट पार्ट छूने के लिए मजबूर करना शामिल है.
बिना फिजिकल कॉन्टैक्ट के छूना किस श्रेणी में आएगा?
फ्री प्रेस जर्नल के मुताबिक, जस्टिस गनेड़ीवाला ने कहा, "प्रॉसिक्यूशन का केस ये नहीं है कि आरोपी ने लड़की का टॉप उतारकर उसके ब्रेस्ट दबाए. इसमें बिना पेनिट्रेशन के यौन इरादे से सीधा फिजिकल कॉन्टैक्ट नहीं है."
“बिना किसी साफ जानकारी के जैसे कि क्या टॉप हटाया गया था या आरोपी ने अपना हाथ टॉप के अंदर डाला. इसके आभाव में 12 साल की बच्ची के ब्रेस्ट दबाने की हरकत को यौन हमले की श्रेणी में नहीं रख सकते. ये IPC के सेक्शन 354 के तहत आएगा, जो महिला की लज्जा भंग करने की सजा का प्रावधान बताता है.”जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला
फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी ने पीड़ित लड़की को एक अमरुद देने के बहाने फुसलाया था और उसे अपने घर ले गया था. बाद में जब लड़की की मां मौके पर पहुंची तो उन्होंने अपनी बेटी को रोटी हुई पाया. लड़की ने पूरी घटना अपनी मां को बताई, जिसके बाद FIR दर्ज की गई.
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