स्टेन स्वामी (Stan Swamy) की मौत के बाद उनकी अपीलों पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने 19 जुलाई को कहा कि 'स्वामी कमाल के इंसान थे और कोर्ट उनके काम की बहुत इज्जत करता है.' एल्गार परिषद केस में आरोपी बनाए गए स्वामी की जुलाई की शुरुआत में मौत हो गई थी.
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की बेंच ने ये टिप्पणी की. इसी बेंच ने 5 जुलाई को स्टेन स्वामी की मेडिकल जमानत याचिका पर सुनवाई की थी, जब हाई कोर्ट को उनकी मौत के बारे में जानकारी दी गई थी.
"सामान्य रूप से हमारे पास समय नहीं होता है, लेकिन हमने स्वामी की फ्यूनरल सर्विस देखी थी. वो बहुत विनीत था. कमाल के इंसान थे, उन्होंने जिस तरह की सेवाएं समाज को दी थीं. हम उनके काम को बहुत सम्मान करते हैं. उनके खिलाफ कानूनी रूप से जो भी था, वो अलग मामला है."जस्टिस एसएस शिंदे
हम आदेश देते हुए निष्पक्ष रहे: हाई कोर्ट
हाई कोर्ट बेंच ने निराशा जताई कि कई मामलों में अंडरट्रायल जेलों में सुनवाई शुरू होने का इंतजार करते रहते हैं. हालांकि, बेंच ने कहा कि वो स्टेन स्वामी की मेडिकल जमानत याचिका और एल्गार परिषद मामले में उनके सह-आरोपियों की याचिकाओं पर आदेश पास करते हुए निष्पक्ष रही थी.
"आप हमारे पास मेडिकल जमानत याचिका लेकर 28 मई को आए थे और हमने हर बार निवेदन स्वीकारा. बाहर हम चुप हैं. ये सिर्फ आप ही साफ कर सकते हैं. आपने कहा है कि मामले में आपको कोर्ट से कोई शिकायत नहीं."कोर्ट ने स्टेन स्वामी के वकील मिहिर देसाई से कहा
हाई कोर्ट ने कहा कि कोई ये नहीं बताता कि इसी कोर्ट ने काफी विरोध के बावजूद सह-आरोपी वरवरा राव को जमानत दी थी. कोर्ट ने कहा, "हमने राव के परिवार को मिलने की इजाजत दी क्योंकि हमने सोचा कि मानव पहलू भी देखना चाहिए. दूसरे हनी बाबू के केस में हमने पसंद के अस्पताल भेजा था."
स्वामी की मौत को लेकर बेंच ने कहा कि 'सोचा नहीं था ऐसा हो जाएगा.'
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