केंद्र सरकार के नए आईटी नियमों को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सबसे बड़ी बात ये है कि हाईकोर्ट ने आईटी नियमों के कुछ सेक्शन पर स्टे लगा दिया है. ये सेक्शन 9(1) और 9(3) हैं, जो डिजिटल मीडिया के कोड ऑफ एथिक्स से जुड़े हुए हैं.
(इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 की संवैधानिक वैधता को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, इसे लेकर हाईकोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार से जवाब भी मांगा गया था. याचिका में कहा गया था कि इन नए आईटी नियमों के कई सेक्शन ऐसे हैं, जिनसे मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
हालांकि हाईकोर्ट ने आईटी नियमों के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने रूल 14 और 16 पर स्टे लगाने की मांग को खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता की अगुवाई वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया है.
डिजिटल मीडिया के लिए क्या है गाइडलाइन?
नए आईटी नियमों की इस गाइडलाइन के मुताबिक डिजिटल मीडिया को प्रेस काउंसिल, केबल टीवी एक्ट के नियमों का पालन करना होगा. इसके साथ ही थ्री लेवल शिकायत निवारण सिस्टम बनाना होगा. रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट जज या कोई बेहद प्रतिष्ठित इंसान वाली सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी और साथ ही सरकार कोई ऐसा सिस्टम बनाएगी जो इन सबकी निगरानी करेगा.
इन तमाम प्रावधानों को लेकर डिजिटिल मीडिया कंपनियों ने आपत्ति जताई है और कहा है कि सरकार इससे नियंत्रण करना चाहती है. कंपनियों का कहना है कि ये अन्यायपूर्ण है और इससे उनकी लिखने की आजादी को छीना जा सकता है. उनका आरोप है कि, कंटेंट पर सीधा नियंत्रण करने के लिए सरकार ये कानून लाई है.
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