ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने बुधवार को 1919 जालियांवाला बाग हत्याकांड के लिए खेद जताया और इसे ब्रिटिश भारतीय इतिहास का 'शर्मनाक दाग' बताया. उनका ये बयान ब्रिटिश सेना के भारत में उसके शासन के दौरान इस हत्याकांड के 100 साल पूरे होने के कुछ दिन पहले आया है. थेरेस ने संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "जालियांवाला बाग हत्याकांड की वजह से जो हुआ और लोगों को जो मुश्किलों का सामना करना पड़ा, उसके लिए यूनाइटेड किंगडम गहरा खेद जताता है."
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने 2013 में भारत दौरे के दौरान इस घटना को 'ब्रिटेन के इतिहास में एक शर्मनाक घटना बताया' था.
बता दें कि 13 अप्रैल साल 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था. ब्रिगेडियर जनरल डायर की अगुवाई में ब्रिटिश सेना ने जालियांवाला बाग में निहत्थे और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी थी. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 379 लोग मारे गए थे और 1100 लोग घायल हुए थे, जबकि अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, करीब 1000 लोगों की मौत हुई थी और 1500 लोग घायल हुए थे.
क्या हुआ था उस दिन?
उस दिन बैसाखी का त्योहार था. पंजाब में बैसाखी जोर-शोर से मनाई जाती है. उन दिनों आजादी के आंदोलन की भी गूंज थी. ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होते थे. स्वतंत्रता आदोलन पर रोक लगाने के लिए मकसद से अंग्रेजी सरकार ने रॉलेट एक्ट (The Anarchical and Revolutionary Crime Act) 1919 लागू किया था.
रॉलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में उस दिन सभा होनी थी. करीब 20-25 हजार लोग जमा हुए थे. बाग करीब 200 गज लंबा और 200 गज चौड़ा था और चारों ओर दस फीट ऊंची दीवार थी. इसमें कुल पांच दरवाजे थे, जिसमें एक दरवाजे को छोड़ कर सभी बंद थे.
इस बाग में जुटे लोगों का मकसद शांतिपूर्ण सभा के जरिये अंग्रेजी सरकार को यह बताना था कि आजाद होना उनका हक है और इस तरह की तानाशाही का वह विरोध करते हैं. अंग्रेजी अफसरों को यह बर्दाश्त नहीं हुआ. उन्होंने जान-बूझकर सभी लोगों को जमा होने दिया. उसके बाद जब सभा शुरू हुई, तो सबक सिखाने के इरादे से ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर 90 सैनिकों के साथ वहां पहुंचा. उसने अपने सैनिकों के साथ बाग के मुहाने पर दो तोप लगा दिए और बाहर निकलने का रास्ता रोक दिया.
सैनिकों को देख कर सभा के संचालकों ने लोगों से शांतिपूर्वक बैठे रहने की अपील की. उनमें से किसी को भी अंदाजा नहीं था कि जनरल डायर हैवानियत की हद पार करने वाला है. उसके बाद डायर ने बिना किसी चेतावनी के सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दिया. निहत्थे लोगों पर, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, 10 मिनट तक गोलियां बरसाई गईं. कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं. चारों तरफ लहू बिखर गया. लोगों के पास भागने का रास्ता नहीं था. उस बाग में एक कुआं था. लोग जान बचाने के लिए कुएं में कूद गए. 120 शव कुएं से निकाले गए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)