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INDIA गठबंधन की बैठक से पहले मायावती- "इनके साथ रहें तो सेक्युलर, नहीं तो भाजपाई"

मायवती ने कहा "वैसे तो बीएसपी से गठबंधन के लिए यहां सभी आतुर, किन्तु ऐसा न करने पर विपक्षी द्वारा खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हैं.

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भारत
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बहुजन समाज पार्टी (BSP) अध्यक्ष मायावती ने बुधवार ( 30 अगस्त) को ऐलान किया की उनकी पार्टी किसी भी गठबंधन (INDIA और NDA) का हिस्सा नहीं होगी. यूपी की पूर्व सीएम ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

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दरअसल, 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में 'इंडिया' गठबंधन की दो दिवसीय बैठक होने जा रही है. ऐसे में चर्चा थी कि BSP विपक्षी दलों के गठबंधन 'INDIA' के बैठक में शामिल हो सकती हैं. हालांकि, मायावती ने ट्वीट कर इस चर्चा को पूरी तरह खारिज कर दिया है.

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा...

"NDA व इंडिया गठबंधन अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक और पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियां हैं, जिनकी नीतियों के विरुद्ध बीएसपी अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता."

इस दौरान उन्होंने मीडिया से फेक न्यूज नहीं फैलाने की अपील भी की. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि...

"BSP, विरोधियों के जुगाड़-जोड़तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे-बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनके गठबंधन से साल 2007 की तरह अकेले आगामी लोकसभा और चार राज्यों में विधानसभा का आमचुनाव लडे़गी. मीडिया बार-बार भ्रान्तियां न फैलाए.
मायावती, BSP प्रमुख

मायावती ने आगे कहा कि "वैसे तो BSP से गठबंधन के लिए यहां सभी आतुर, किन्तु ऐसा न करने पर विपक्षी द्वारा खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हैं. इनसे मिल जाएं तो सेक्युलर, न मिलें तो भाजपाई. यह घोर अनुचित और अंगूर मिल जाए तो ठीक वरना अंगूर खट्टे हैं, की कहावत जैसी."

इमरान मसूद पर क्या बोलीं मायावती ?

इमरान मसूद को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तारीफ करने पर BSP से बाहर निकाले जाने पर मायावती ने कहा" BSP से निकाले जाने पर सहारनपुर के पूर्व विधायक कांग्रेस और उस पार्टी के शीर्ष नेताओं की प्रशंसा में व्यस्त हैं, जिससे लोगों में यह सवाल स्वाभाविक है कि उन्होंने पहले यह पार्टी छोड़ी क्यों और फिर दूसरी पार्टी में गए ही क्यों? ऐसे लोगों पर जनता कैसे भरोसा करे?

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