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बजट 2021-22: इकनॉमी की रफ्तार के लिए ग्रोथ इंजन को कितना ईंधन?

इकनॉमी को रफ्तार देने के लिए बुनियादी ढांचे पर दिया गया जोर

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भारत
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए ये साफ कर दिया कि, अबकी बार बजट में कोरोना महामारी से डैमेज हुई इकनॉमी को सुधारने की पूरी कोशिश की गई है. धीमी ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए कई तरीके से ईंधन देने का काम किया गया. खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बार का बजट ऐसे वक्त में आ रहा है, जब देश की जीडीपी लगातार दो बार निगेटिव जोन में गई है. वहीं पीएम मोदी ने कहा, "ये बजट असाधारण परिस्थितियों के बीच पेश किया गया है."

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पहले आपको भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति के बारे में बताते हैं, इसके बाद बताएंगे कि इसे सुधारने के लिए कैसे बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) पर जोर दिया जा रहा है. जिससे इकनॉमी के पहिए पटरी पर रफ्तार पकड़ सकें.

अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति

बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने बताया कि 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.5% तक रहा है. वहीं 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.8% तक होने का अनुमान लगाया गया है.

सरकार का लक्ष्य है कि 2025-26 तक राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5% तक आ जाए. बता दें कि आदर्श स्थिति में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3% तक ही होना चाहिए.

इकनॉमी को पटरी पर लाने की कोशिश

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक तरफ पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर जोर दिया गया है तो दूसरी तरफ वित्तीय घाटा कम करने की कोशिश की गई है.

देश की इकनॉमी को रफ्तार देने के लिए सरकार 2021-22 में 34.83 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसमें 5.4 लाख करोड़ रुपये कैपिटल एक्सपेंडिचर पर खर्च होगा, जो पिछले साल से 34.5% अधिक है.
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सरकार ने अपने कर्ज के स्तर को भी 12 लाख करोड़ रुपये पर कायम रखा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस साल राजकोषीय घाटे का भरपाई के लिए केंद्र सरकार को 80 हजार करोड़ की जरूरत होगी, जो अगले दो महीनों में सरकार बाजार से जुटाएगी. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सरकार ने 1.75 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है जिसमें एलआईसी के आईपीओ के साथ दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी का निजीकरण शामिल है.

आधारभूत संरचना पर जोर

किसी भी देश में अर्थव्यवस्था को गति देता है आधारभूत संरचना का विकास, इससे ना सिर्फ बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होता है बल्कि आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आती है. बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि यदि हम बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) पर बड़ा खर्च करते हैं तो इससे आवश्यक मांग को भी बढ़ावा मिलेगा.

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  • सड़क परिवहन मंत्रालय के लिए 1,18,101 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है. पिछले बजट में ये 91,823 करोड़ ही था. यानी करीब 22 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है.
  • भारतमाला परियोजना प्रोजेक्ट पर 5,00,000 करोड रुपए खर्च होने का अनुमान है. मार्च 2022 तक 8000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का और 11000 किलोमीटर नेशनल हाईवे कॉरिडोर का निर्माण कर लिया जाएगा.
  • रेल योजना 2030 तैयार हो गई है और रेलवे के लिए 1,10,055 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
  • शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये 18,000 करोड़ रुपये की योजना की घोषणा की. मेट्रो के लिए 11 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. कोच्चि, बेंगलुरु, चेन्नई, नागपुर, नासिक में मेट्रो प्रोजेक्ट को बढ़ावा दिया जाएगा.
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत 2,000 करोड़ से अधिक की लागत की 7 बंदरगाह परियोजनाएं शुरु होंगी.
  • ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए ₹40,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
  • इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस के लिए एक पेशेवर वित्तीय संस्थान की जरूरत को देखते हुए इसके लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके जरिए अगले 3 साल में कम से कम 5,00,000 करोड़ रुपये का लोन दिया जा सकेगा.
  • परियोजनाओं, कार्यक्रमों, विभागों के लिए आर्थिक कार्य विभाग के बजट में 44 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि रखी गई है.
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बता दें कि IBEF के मुताबिक, भारत को साल 2022 तक निरंतर ग्रोथ के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 777.73 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है, अनुमान के मुताबिक भारत 2022 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कंस्ट्रक्शन मार्केट बन जाएगा.

बुनियादी सुविधाओं पर जोर

कोरोना महामारी से पैदा हुए संकट को देखते हुए बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 2,23,846 करोड़ का आवंटन किया गया है. स्वास्थ्य क्षेत्र में ये 137 फीसदी की बढ़ोतरी है, जो बड़ी बात है, वहीं जल जीवन मिशन अर्बन के लिए सरकार ने 2.87 लाख करोड़ रुपये के खर्च का ऐलान किया है. इसके जरिए हर घर तक पानी की सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी.

सरकार की ओर से 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक लागत की एक स्कीम लॉन्च की जा रही है, ये स्कीम देश में बिजली से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगी. बिजली क्षेत्र में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत कई प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा. स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाते हुए इसके लिए 2,87,000 करोड़ रुपये जारी किए गए. इसके तहत शहरों में अमृत योजना को आगे बढ़ाया जाएगा.

इस बजट से सरकार की ये मंशा स्पष्ट है कि बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को एक झटके में ठीक नहीं किया जा सकता. ग्रोथ धीरे-धीरे होगी और देश की आंतरिक शक्तियां ही अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएंगी. इसीलिए देश के ग्रोथ इंजन को बढ़ावा देने के लिए सबसे ज्यादा जोर इंफ्रास्ट्रक्टर और बुनियादी सुविधाओं (बिजली,पानी, सफाई) पर दिया गया है. वहीं स्वास्थ्य समस्याएं दोबारा देश की गति ना रोक पाएं, इसलिए हेल्थ सेक्टर पर एकमुश्त खर्च का प्रावधान किया गया है.

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