केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी 2023 को आम बजट 2023 (Budget 2023) पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट को "अमृत काल का पहला बजट" बताया, लेकिन क्या ये अमृत काल है और क्या ये बजट इतना सुहाना है कि इसपर खुश हुआ जाए? इसे समझने के लिए हमने देश के अलग-अलग अखबारों और न्यूज वेबसाइट के एक्सपर्ट या कहें ओपीनियन लीडर के आर्टिकल पढ़े. चलिए एक-एक कर आपको उन आर्टिकल का निचोड़ समझाते हैं.
निर्मला ने सब पर रखी नजर- कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन
भारत सरकार के 17वें मुख्य आर्थिक सलाहकार, अर्थशास्त्री, और IMF के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखा है कि आगामी चुनाव के दबाव के बावजूद, इस साल के बजट ने आर्थिक विकास पर जोर बनाए रखने का उत्कृष्ट काम किया है. "सप्तऋषियों" या सात प्राथमिक क्षेत्रों में से जिन पर वित्त मंत्री ने जोर दिया, मैं दो प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता हूं, जो विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे: सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (कैपेक्स-public capital expenditure) और फाइनेंशियल सेक्टर.
बजट में लगातार तीसरे साल पब्लिक कैपेक्स में बढ़ोतरी की गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) 33% बढ़कर 10 लाख करोड़ हो गया जो कि सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का 3.3% है. न केवल कैपेक्स बढ़ाया गया है, बल्कि राज्यों को कैपेक्स पर खर्च करने के लिए ठोस प्रोत्साहन भी प्रदान किया गया है. बजट 2021-22 में घोषित कैपेक्स को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों को 50 साल के ऋण का लाभ वित्त वर्ष 23-24 तक दे दिया गया है.
कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यन लिखते हैं,
आर्थिक फायदा साफ है. अपने भाषण में, वित्त मंत्री ने निवेश से शुरू होने वाले "पुण्य चक्र" के फायदों को दोहराया, जिसे आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में अवधारणाबद्ध किया गया था, और बजट ने भारत के इकनॉमिक विजन पर जोर दिया है. ग्लोबल इकनॉमी के विकास के इंजन के रूप में भारत के उभरने में सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (public capital expenditure) का असर पहले से ही देखा जा सकता है.
कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यन लिखते हैं कि दूसरा प्रमुख क्षेत्र जहां बजट ने विकास के लिए महत्वपूर्ण काम किया है वो है वित्तीय क्षेत्र.
कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यन लिखते हैं-
कुल मिलाकर, मुझे विश्वास है कि यह बजट वैश्विक अर्थव्यवस्था के सूत्रधार के रूप में भारत की स्थिति को तेज करने में मदद करेगा.
चुनावी बजट नहीं है- पी वैद्यनाथन अय्यर
पी वैद्यनाथन अय्यर ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है,
"2023-24 के केंद्रीय बजट में कोई लोकलुभावन वादे नहीं हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की लगातार पांचवीं बार बजट पेश किया है, इसमें 2024 के लोकसभा चुनावों का कोई पूर्वाभास नहीं है. यह बजट स्पष्ट रूप से सरकार की आर्थिक रणनीति की निरंतरता की ओर इशारा करता है. यह साहसिक है, और इस उम्मीद के साथ है कि अच्छा अर्थशास्त्र जरूरी नहीं कि बुरी राजनीति हो."
पी वैद्यनाथन अय्यर ने लिखा है, "जाहिर है, जोर पूंजी निवेश पर है, और सरकार को खर्च में एक खिलाड़ी बने रहना चाहिए, खासकर तब जब निजी क्षेत्र अभी भी बड़ा निवेश करने से कतरा रहा है."
पी वैद्यनाथन अय्यर ने लिखा है कि बजट में जो इनोवेटिव बात है वह है करदाताओं को नई कर व्यवस्था में जाने के लिए जोर देना. नए टैक्स सिस्टम का विकल्प चुनने वालों को राहत दिया गया है.
वित्त मंत्री ने किसानों की आय के लिए बचत का इस्तेमाल करने का अवसर खो दिया- अशोक गुलाटी
इंफोसिस इकोनॉमिक थिंक टैंक ICRIER में चेयर प्रोफेसर और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी इकनॉमिक टाइम्स में लिखते हैं कि वित्त मंत्री ने सब्सिडी देने से परहेज किया है और कैपेक्स मार्ग के जरिए विकास पर ध्यान केंद्रित किया है - यह बड़ी तस्वीर है, केंद्रीय बजट 2023 का व्यापक ढांचा है.
कृषि में, निर्मला सीतारमण ने डिजिटल बुनियादी ढांचे, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और दूसरे किसान सहकारी समितियों के बारे में बात की है और बताया है कि कैसे वे बेहतर सलाह के माध्यम से किसानों को बेस्ट प्राइस दिलाने में मदद कर सकते हैं. उन्होंने दूसरे पहलों और बेहतर भंडारण सुविधाओं और कृषि में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के बारे में भी उल्लेख किया है. ये सही दिशा में किए गए उपाय हैं. हालांकि, इससे कृषि विकास या किसानों की आय पर पर्याप्त फर्क नहीं पड़ेगा.
अशोक गुलाटी आगे लिखते हैं, " कुल मिलाकर, मैं कहूंगा, यह काफी अच्छा बजट है लेकिन यह किसानों के लिए बहुत बेहतर हो सकता था क्योंकि पिछले चार सालों से प्रति परिवार 6,000 रुपये का पीएम किसान भी स्थिर है. सही मायनों में इसमें गिरावट आई है."
अब बिना छूट और बिना बचत का नया टैक्स अध्याय शुरू
भास्कर ने अपने ओपीनियन में लिखा है कि ये पहला बजट है, जिसमें मोदी सरकार ने निम्न मध्यम वर्ग का भला करने की सोची है. लेकिन तारीफ के आगे लिखा है कि इनकम टैक्स में छूट की जो घोषणाएं की गईं हैं, उनका भी ज्यादा कोई फायदा मिलने वाला नहीं है.
भास्कर में लिखा है,
नई घोषणाओं में वित्तमंत्री ने कहा कि अब नई आयकर प्रणाली में सात लाख की सालाना इनकम वाले लोग करमुक्त हो जाएंगे. अब इसकी पुरानी प्रणाली से तुलना करते हैं, तो कुछ भी फर्क नजर नहीं आता.
आगे लिखा है, "पुरानी प्रणाली में भी 80 सी की मामूली बचत के साथ सात लाख की सालाना आय वाला वेतनभोगी कर मुक्त ही रहता है. इस 80 सी की बचत के लिए वेतनभोगी को ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती. पीएफ सेलेरी से ही कट जाता है और एक एलआईसी ले ली जाए तो डेढ़ लाख रुपए सालाना का 80 सी का कोटा पूरा हो जाता है."
कुल मिलाकर नई प्रणाली में तमाम सुधारों की घोषणा भी इसलिए की गईं हैं ताकि उसे पुरानी प्रणाली की बराबरी पर लाया जा सके. दरअसल, नई टैक्स प्रणाली को पिछले साल केवल पांच लाख लोगों ने ही अपनाया था. पूरी तरह यह फ्लॉप हो चुकी थी. इसमें नई जान फूंकने के लिए ही इस बार के बजट में तमाम घोषणाएं की हैं.
विकास के मंत्र पर आधारित बजट- मुकेश बूटानी और शैंकी अग्रवाल
बीएमआर लीगल के संस्थापक मुकेश बूटानी और शैंकी अग्रवाल ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस में लिखा है कि बजट 2023-24 को सरकार के 'सबका साथ सबका विकास' मंत्र के लिए जाना जाएगा.
मुकेश बूटानी और शैंकी अग्रवाल ने आगे लिखा है,
सात वित्तीय प्राथमिकताओं ने देश के बजट के खाके को रेखांकित किया, लगभग सभी उद्योगों, क्षेत्रों या समूहों को संबोधित किया गया है. महिलाओं से लेकर सबसे कमजोर जनजातीय समूह हो या वरिष्ठ नागरिक, कॉर्पोरेट्स के लिए विदेशी निवेशक, सभी को शामिल किया गया है. जिसमें जीवनयापन को आसान बनाने, बचत और निवेश के दायरे का विस्तार देने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के पर विचार किया गया है.
आर्टिकल में आगे लिखा है कि अमृत काल का ये पूरा वीजन टेकनोलॉजी और मजबूत फाइनेंशियल सेक्टर पर आधारित है, जिससे साफ है कि स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा, जिसमें डिजिटलाइजेशन के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने, स्वदेशी उत्पादन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और मेडिकल रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा.
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