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बजट 2023: "अमीरों पर कम टैक्स से देश को फायदा"- राघव बहल

Budget 2023: राघव बहल ने समझाया कि इन टैक्स स्लैब में हुए बदलावों के क्या मायने हैं और सरकार ने ऐसा क्यों किया है?

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केंद्रीय बजट 2023-24 (Budget 2023) जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में पेश किया था इसमें पर्सनल इनकम टैक्स में महत्वपूर्ण बदलाव लाया गया है. आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई है. इसके अलावा, टैक्स स्लैब भी बदला गया है और स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच कर दी गई है.

यहां यह बात समझना भी जरूरी है कि ज्यादा टैक्स लगने से अमीरों का देश से पलायन होता है, ऐसे में सरकार को टैक्स इनकम का घाटा भी लगता है. इस लिहाज से अमीरों पर टैक्स में कमी से देश को राजस्व में मुनाफा होने की संभावना बनी रहती है.

इस बार के बजट में अमीरों से लेकर मिडिल क्लास तक के लिए कुछ न कुछ बदलाव जरूर किए गए हैं. 03 फरवरी को 'डिकोडिंग बजट विद राघव बहल' के सेशन में द क्विंट के एडिटर इन चीफ राघव बहल ने समझाया कि इन टैक्स स्लैब में हुए बदलावों के क्या मायने है, और सरकार ने ऐसा क्यों किया है?

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"जिस बजट में टैक्स कटौती, वह अच्छा बजट" 

जिस बजट में टैक्स कटौती होती है वह अच्छा बजट होता है. और इस लिहाज से इस बजट ने 15 लाख तक कमाने वालो को कुछ हद तक राहत दी है. यह एक बहुत बेहतर कदम है. उन्होंने कहा कि, सरकारी नई सरल टैक्स व्यवस्था में लोगों को लाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसके साथ ही अच्छी बात यह है कि सरकार आपको जबरन नई व्यवस्था में नहीं ला रही है.

इस बारे में सरकार का एप्रोच यह है कि अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था से खुश है तो यह आपके ऊपर है आप जारी रख सकते है. हम बस आपको बेहतर विकल्प दे रहे हैं.

टैक्स कटौती की जरूरतों के बारे में बताते हुए राघव बहल कहते हैं कि बजट में टैक्स कटौती बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि टैक्स कटौती से खपत में इजाफा होता है.

टैक्स में कटौती से जनता के पास सेविंग या खर्च के लिए विकल्प खुलते हैं. मान लीजिए किसी की आय 15 लाख रूपए प्रति साल है और जब उसे पता चला कि उसके लिए टैक्स में 35000 रूपए कम देने है तो जाहिर है खुशी होती है. यह इसका प्रभाव होता है.

"सरकार बहुत कम बार अमीर लोगों पर अधिकतम टैक्स लिमिट में कटौती करती है"

जिसके बारे में ज्यादा बात नहीं होती है वह यह कि सरकार बहुत कम बार अमीर लोगों पर अधिकतम टैक्स लिमिट में कटौती करती है. यह 70-80 के दशक में किया गया था जब मैक्सिमम मार्जिनल रेट 93 प्रतिशत तक चला गया था. और तब सरकार को यह अहसास हुआ कि 93 प्रतिशत बहुत ज्यादा है और ज्यादा आय वाले लोग इस देश में रहना पसंद नहीं करेंगे तब इसमें कटौती की गई थी.

कुछ इसी तर्ज पर जब पिछले साल अमीरों पर लगने वाला टैक्स 43% तक था तो सरकार को एहसास हुआ कि यह एक गलत कदम साबित हुआ. सरकार यह समझ गई कि अमीरों के पलायन के पीछे ज्यादा टैक्स वजह थी. हालांकि उन्होंने सदन में यह साफ शब्दों में नहीं माना लेकिन उन्होंने यह कहा कि यह दुनिया में यह सबसे अधिक है और हम इसमें कटौती कर रहे हैं.

समाजवादी विचारधारा यह मान सकती है कि यह अच्छी बात है लेकिन यह अच्छा नहीं है क्योंकि ज्यादा टैक्स लगाने से सरकार टैक्स गंवा रही थी.

सरकार इस बात को लेकर सचेत थी कि टैक्स की वजह से लोग देश छोड़ रहे है इसलिए इसे ठीक करने की कोशिश की गई है.

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