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Budget 2023: नौकरीपेशा खुश- किसान नजरअंदाज? 4 मोर्चे पर निराश करता है बजट

बजट 2023 की किस घोषणा पर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती है?

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(Union Budget 2023 से जुड़े सवाल? 3 फरवरी को राघव बहल के साथ हमारी विशेष चर्चा में मिलेंगे सवालों के जवाब. शामिल होने के लिए द क्विंट मेंबर बनें)

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार, 1 फरवरी को संसद में बजट 2023-24 पेश किया. यह मोदी सरकार 2.0 का आखिरी पूर्ण बजट था और इस वजह से जनता इस उम्मीद में थी कि सरकार 'लोकलुभावन बजट' के साथ जाएगी और उनपर राहतों की बारिश होगी. एक तरफ तो पीएम मोदी ने बजट 2023 को "अमृत काल का पहला बजट" करार दिया और कहा कि यह "एक विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए एक आधार देगा". दूसरी तरफ विपक्ष ने दावा किया है कि यह बजट नहीं इलेक्शन स्पीच है. गरीब, बेरोजगार के लिए इस बजट में कुछ नहीं है.

तो सवाल है कि यह बजट कैसा है? यकीनन इनकम टैक्स में राहत से लेकर पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में 33% के इजाफे तक कई ऐसी घोषणाएं हैं जिसपर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती है. लेकिन दूसरी तरफ निर्मला ताई के तमाम दावों के बावजूद मनरेगा, आंगनबाड़ी जैसी योजनाओं से लेकर कृषि सेक्टर, कई ऐस मोर्चें हैं जहां Budget 2023 निराश कर जाता है.

Budget 2023: बजट की किस घोषणा पर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती है?

  • नए टैक्स सिस्टम में पांच लाख के बजाय 7 लाख तक की आय पर टैक्स छूट

  • सीनियर सिजिटन सेविंग्स स्कीम में अधिकतम 30 लाख तक जमा कर पाएंगे, पहले ये सीमा 15 लाख तक ही थी

  • पूंजीगत व्यय में 10 लाख करोड़ निवेश का लक्ष्य, यह 33% का इजाफा है

  • 157 नये नर्सिंग कॉलेज बनेंगे, बच्चों के लिए नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी बनेगी

  • PVTG विकास मिशन लॉन्च होगा, मिशन के लिए तीन साल में 15000 करोड़ देगी सरकार

  • पीएम आवास योजना के लिए 79000 करोड़, बजट में 66% की वृद्धि

  • सरकार ग्रीन ग्रोथ पर कैपिटल निवेश के लिए 35000 करोड़ खर्च करेगी

Budget 2023: किन मोर्चे पर निराश करता है?

कोरोना में अर्थव्यवस्था को जिन सेक्टर ने संभाला उन्हें प्राथमिकता नहीं

भारत के 6.3 करोड़ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) का जीडीपी में योगदान 30 प्रतिशत का है और यह लगभग 11 करोड़ लोगों को रोजगार देता है. लेकिन नोटबंदी और GST की मार के बाद जब कोरोना महामारी ने दस्कत दी थी तब लॉकडाउन ने MSME सेक्टर के साथ-साथ पूरे अर्थव्यवस्था पर फुलस्टॉप लगा दिया था. तब शहरों में रोजगार की तलाश में आया मजदूरों का जत्था मजबूरी में अपने-अपने गांव लौटा था. ऐसे में मनरेगा स्कीम कोरोना काल के दौरान ग्रामीण इलाकों में रोजगार देने और वहां जनता के खर्च को बनाए रखने वाला सबसे कारगर कार्यक्रम साबित हुआ था. लेकिन सरकार ने इस बजट में इसी योजना को तरजीह नहीं दी है.

मनरेगा का बजट घटकर ₹60,000 करोड़ हो गया है जो पिछले साल 89,400 करोड़ था. यानी मनरेगा के लिए अलॉट बजट में सरकार ने 32% की कटौती की है.

इतना ही नहीं कोरोना महामारी में पीएम पोषण योजना और आंगनवाड़ी योजना ने सुनिश्चित किया था कि बढ़ी बेरोजगारी की दशा के बावजूद बड़ी आबादी भूखे पेट न सोए. लेकिन सरकार ने इन दोनों योजनाओं के बजट में भी कटौती की है.

पीएम पोषण योजना के बजट को ₹12800 करोड़ से घटाकर ₹11600 करोड़ कर दिया गया है जबकि आंगनवाड़ी के पिछले साल के ₹20263 करोड़ के बजट को भी अब ₹20554 करोड़ पर ला दिया गया है.

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किसानों से ऐसे रिश्ते सुधारेगी सरकार? पिटारा नहीं खुला

सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर आंदोलन करने वाले किसानों की मांग की फेहरिस्त लंबी थी लेकिन उन्हें इस बजट से यकीनन निराशा होगी. वे उम्मीद कर रहे थे कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 6000 रुपये सलाना दिए जाने वाले रकम को बढ़ाकर 8000 रुपये करेगी लेकिन लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पीएम किसान सम्मान निधि के लिए अभी भी ₹60,000 करोड़ बजट ही तय किया गया है, पिछले साल भी यह रिवाइज्ड बजट में भी इतना ही था.

  • सरकार ने यूरिया सब्सिडी पर बजट कम करके ₹131100 करोड़ कर दिया है जो पिछले साल ₹154098 करोड़ का था.

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पर बजट को कम करके ₹1,37,207 करोड़ कर दिया है जो पिछले साल 2,14,696 करोड़ का था.

बेरोजगारी पर चुप्पी? रोजगार पर वादे वाले आंकड़े का इंतजार

2014 के आम चुनावों के पहले बीजेपी और नरेंद्र मोदी ने हर साल करोड़ों रोजगार पैदा करने का वादा किया था लेकिन इस मोर्चे पर उसकी नाकामी की आलोचना होती रही है. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में एक बार भी 'बेरोजगारी' शब्द का उल्लेख नहीं किया. निर्मला सीतारमण ने जरूर पूंजीगत निवेश को बढ़ाकर और टूरिज्म से लेकर ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में रोगजार सृजन की बात की है लेकिन रोजगार पर ऐसा कोई फाइनल आंकड़ा नहीं बताया है.

ग्रामीण विकास से भटकी सरकार?

ग्रामीण विकास मंत्रालय को 2023-24 के केंद्रीय बजट में 1,57,545 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो चालू वित्त वर्ष में मंत्रालय द्वारा किए गए अनुमानित व्यय से लगभग 13 प्रतिशत कम है. पहले ही मनरेगा बजट में कटौती की बात की जा चुकी है.

प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए आवंटन पिछले बजट के समान 19,000 करोड़ रुपये है जबकि राष्ट्रीय आजीविका मिशन के लिए आवंटन पिछले बजट में 13,336.42 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में मामूली रूप से बढ़कर 14,129.17 करोड़ रुपये हुआ है.

गौरतलब है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के लिए कोई आवंटन नहीं किया गया है. पिछले बजट में इस योजना के लिए 550 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और इसका संशोधित अनुमान 988 करोड़ रुपये था.

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