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Bundelkhand Expressway का PM मोदी ने किया उद्घाटन, प्रोजेक्ट में क्या है खास?

Bundelkhand Expressway Project अपनी समय सीमा से 8 महीने पहले 28 महीने में पूरा किया गया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार, 16 जुलाई को 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) का उद्घाटन किया. यह हाईवे बुंदेलखंड क्षेत्र में चित्रकूट से शुरू होकर इटावा के पास लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे को जोड़ता है.

बुंदेलखंड के जालौन जिले की उरई तहसील के कैथेरी गांव से प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया जाएगा. सरकार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चौथा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट अपनी समय सीमा से 8 महीने पहले 28 महीने में पूरा किया गया है.

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे क्या है?

पीएम मोदी ने फरवरी 2020 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी. बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को 28 महीने के भीतर पूरा किया गया है, जो इसकी समय सीमा से आठ महीने पहले है. बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चार लेन का एक्सप्रेसवे है, जिसे इस तरह बनाया गया है कि इसे 6 लेन तक बढ़ाया जा सके.

Bundelkhand Expressway Project अपनी समय सीमा से 8 महीने पहले 28 महीने में पूरा किया गया है.

यह एक्प्रेसवे 6 जिलों इटावा, ओरैया, जालौन, महोबा, बांदा और हमीरपुर को कवर करते हुए चित्रकूट जिले के भरतकूट क्षेत्र के पास गोंडा गांव में खत्म होता है. रिपोर्ट के मुताबिक इसके एक तरफ 3.75 मीटर चौड़ी सर्विस लेन भी होगी. बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को बनाने में 14,850 करोड़ रुपये की लागत आई है.

एक्सप्रेसवे में 286 छोटे पुल और 18 बड़े पुल के साथ चार रेल पुल हैं. इसके अलावा 6 टोल प्लाजा, 9 फ्लाईओवर, 7 रैंप प्लाजा और 224 अंडरपास भी हैं.
Bundelkhand Expressway Project अपनी समय सीमा से 8 महीने पहले 28 महीने में पूरा किया गया है.

ग्राउंट वाटर डिपार्टमेंट से री-कमेंडेशन्स लेकर प्रत्येक 500 मीटर पर वर्षा जल हार्वेस्टिंग का प्रावधान किया गया है और एक्सप्रेस-वे के किनारे 7 लाख पेड़ लगाए जाएंगे.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि पूरे प्रोजेक्ट को 6 पैकेजों में बांटा गया था और प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए टाइम-बाउंड टारगेट के साथ इनमें से हर पैकेज के लिए डेवलपर्स का चयन किया गया था.

Bundelkhand Expressway Project अपनी समय सीमा से 8 महीने पहले 28 महीने में पूरा किया गया है.
अधिकारी ने कहा कि प्रोजेक्ट का ज्यादातर हिस्सा कोरोना महामारी के दौरान पूरा हुआ था और उत्तर प्रदेश वापस आने वाले कई प्रवासी श्रमिकों को इससे रोजगार भी मिला था.

यह प्रोजेक्ट बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट के साथ बुंदेलखंड क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. रिपोर्ट के मुताबिक अगले फेज में, सरकार बांदा और जालौन जिलों में एक्सप्रेसवे के साथ औद्योगिक केंद्र विकसित करने की योजना बना रही है.

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सरकार द्वारा दावा किया जा रहे कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से तमाम तरह के लाभ होंगे.

  • जनपद चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, जालौन, औरैया एवं इटावा के लोगों को विशेष तौर पर लाभ मिलेगा.

  • प्रवेश नियंत्रित होने के कारण सुरक्षित ईंधन व समय की बचत के साथ ही प्रदूषण नियंत्रण होगा.

  • ग्रीन एक्सप्रेसवे, वाटर हार्वेस्टिंग पिट का निर्माण 7,00,000 पौधरोपण.

  • 04 जनसुविधा परिसर एवं 04 स्थानों पर फ्यूल पम्प स्थापना का प्रावधान, सुरक्षा के लिए पुलिस पेट्रोलिंग केटल केचर वाहन एवं एंबुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था.

  • ट्रैफिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम.

  • एक्सप्रेसवे के बेहतर नेटवर्क एवं इन्टर कनेक्टिविटी से राज्य का हर छोर प्रदेश एवं देश की राजधानी से जुड़ेगा तीव्र-सुगम ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी के साथ रोजगार एवं निवेश के अवसरों में बढ़ोत्तरी होगी.

  • बुंदेलखण्ड के कम विकसित क्षेत्रों में कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा.

  • उत्पादन इकाइयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से जोड़ने हेतु औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा हैण्डलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भण्डार गृह, मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए उत्प्रेरक बनेगा.

  • एक्सप्रेसवे शिक्षण, प्रशिक्षण एवं मेडिकल संस्थानों की स्थापना हेतु अवसर सुलभ होंगे.

  • उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर को गति मिलेगी.

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