नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ कोलकाता के पार्क सर्कस मैदान में करीब 60 मुस्लिम महिलाएं का धरना जारी है. इन महिलाओं का कहना है कि जब तक उनके पक्ष में 'फैसला' नहीं आ जाता, वो यहां से नहीं हटेंगी.
ये महिलाएं यहां पिछले 12 दिन से प्रदर्शन कर रही हैं. वो दिल्ली के शाहीन बाग की तरह ही धरना-प्रदर्शन कर रही हैं.
प्रदर्शन में पेशवर महिलाओं से लेकर आम गृहिणी भी हिस्सा ले रही हैं. यहां धरना दे रही महिलाओं का कहना है कि ‘ये करो या मरो की लड़ाई है. हम यहां शांति से तब तक बैठेंगे जब तक फैसला हमारे पक्ष में नहीं आ जाता है.’
'फैसला हक में नहीं तो जारी रहेगा धरना'
सीएए को लेकर डाले गए 59 याचिकाओं की सुनवाई 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होनी है. इसको लेकर उन्होंने कहा, 'देखें क्या होता है! न्यायिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहती हूं लेकिन अगर फैसला हमारे पक्ष में नहीं आया तो धरना जारी रहेगा.'
'महिलाएं ठंड को झेलते हुए धरना दे रही'
वहीं एक गृहिणी फरहत इस्लाम ने कहा, 'हम यहां खुले में ठंड को झेलते हुए बैठे हैं. हम बीते 10 दिनों से यहां से करीब 100 मीटर दूर स्थित नजदीकी मस्जिद में महिला शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन कभी यहां से हटने के बारे में नहीं सोचा.'
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ‘सबका साथ सबका विकास’की बात करते हैं और अब बीजेपी सीएए के नाम पर प्रमाणित भारतीय लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है.’
फरहत ने कहा कि करीब 10 दिन के धरने के बाद कोलकाता नगर निगम प्रशासन ने तीन-चार बायो शौचालय और अन्य जरूरी सुविधाएं महिलाओं को 17 जनवरी को मुहैया कराई हैं.
'स्थानीय लोग कर रहें है सहायता'
धरने पर बैठी महिलाओं को पेश आ रही समस्याओं के बारे में फरहत ने कहा, 'आलिया विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय, यादवपुर विश्वविद्यालय, सुरेंद्रनाथ कॉलेज के विद्यार्थियों ने सैनिटरी नैपकिन मुहैया कराए हैं जबकि स्थानीय लोग हर संभावित सहायता पहुंचा रहे हैं.'
बता दें दिल्ली के शाहीन बाग में भी महिलाएं धरना पर बैठी हैं. वे एक महीने से भी ज्यादा दिनों से सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. पुलिस उनसे लगातार धरना को हटाने की अपील कर रहे हैं लेकिन महिलाएं मोर्चा छोड़ने को तैयार नहीं और अब कोलकाता का पार्क सर्कस मैदान भी 'शाहीन बाग' में तब्दील हो रहा है.
इनपुट भाषा से
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