कैब में बैठे हों और कोई अपनी भाषा में बात करने वाला मिल जाए तो बात बन जाए. दिल्ली में अलग-अलग राज्यों के लोग हैं. आपस में लोग हिंदी और अंग्रेजी में बात करते हैं. कोई बंगाली है तो कोई बिहारी. कोई कुमाऊंनी है तो कोई हरियाणवी. इस बार RJ स्तुति ने सोचा क्यों न कैब वाले भैया से उनकी अपनी मातृभाषा में बात की जाए.
RJ स्तुति ने दिल्ली में अलग-अलग कैब के ड्राइवरों से उनकी अपनी मातृभाषा में बोलने की गुजारिश की और उन्होंने भी दिल खोल कर अपनी मातृभाषा में बात की. उत्तराखंड के रघुनाथ सिंह ने कुमाऊं में अपने दिल की बात कही तो अजय कौशिक ने हरियाणवी में. अर्जुन राम ने बिहारी में अपने दिल की बात रखी. असम के मोहम्मद जलहोग ने बांग्ला में बात की.
बहरहाल, दिल्ली के कैब ड्राइवरों ने अपनी-अपनी मातृभाषाओं मे बात कर हमारा दिल जीत लिया. इनसे बातें करके पता चला कि कैसे अलग-अलग भाषाओं के जरिये व्यक्त होने के बावजूद हमारी भावनाएं एक है.
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