ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘सरकार की न हो किरकिरी, इसलिए CAG ऑडिट रिपोर्ट में हो रही देरी’

पूर्व नौकरशाहों ने CAG पर लगाया ऑडिट रिपोर्ट में जानबूझकर देरी करने का आरोप

Published
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा

साठ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने CAG पर नोटबंदी और राफेल डील पर ऑडिट रिपोर्ट को जानबूझ कर टालने का आरोप लगाया है. ब्यूरोक्रेट्स का आरोप है कि CAG जानबूझकर रिपोर्ट में देरी कर रही है, जिससे अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले एनडीए सरकार की किरकिरी न हो.

पूर्व अफसरों ने CAG को लिखे पत्र में कहा है कि नोटबंदी और राफेल फाइटर जेट डील पर ऑडिट रिपोर्ट लाने में अस्वाभाविक और अकारण देरी चिंताजनक है. पूर्व अफसरों ने रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में पटल पर रखे जाने की मांग की है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ऑडिट रिपोर्ट में देरी से संस्थान की साख पर संकट

लेटर में कहा गया है कि समय पर नोटबंदी और राफेल डील को लेकर ऑडिट रिपोर्ट जारी करने में देरी को पक्षपातपूर्ण कदम कहा जाएगा और इससे संस्थान की साख पर संकट पैदा हो सकता है. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है.

लेटर में लिखा गया है- ‘‘नोटबंदी और राफेल सौदे को लेकर समय पर ऑडिट रिपोर्ट पेश करने में कैग की नाकामी को पक्षपातपूर्ण कदम के तौर पर देखा जा सकता है और इस महत्वपूर्ण संस्था की साख पर संकट पैदा हो सकता है.’’

नोटबंदी पर मीडिया की खबरों का संदर्भ देते हुए पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि तत्कालीन नियंत्रक और महालेखापरीक्षक शशि कांत शर्मा ने कहा था कि ऑडिट में नोटों की छपाई पर खर्च, रिजर्व बैंक के लाभांश भुगतान और बैंकिंग लेन-देन के आंकड़ों को शामिल किया जाएगा. पत्र में कहा गया है, इस तरह की ऑडिट रिपोर्ट पर पिछला बयान 20 महीने पहले आया था लेकिन नोटबंदी पर वादे के मुताबिक, ऑडिट रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले रिटायर्ड अफसरों में पंजाब के पूर्व डीजीपी जूलियो रिबेरो, पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी से सोशल एक्टिविस्ट बनीं अरुणा रॉय, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवंकर, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, इटली में पूर्व दूत के पी फेबियन समेत अन्य पूर्व अधिकारी हैं.

ऑडिट रिपोर्ट में जानबूझकर देरी करने का आरोप

पत्र में दावा किया गया है कि ऐसी खबरें थीं कि राफेल सौदे पर ऑडिट सितंबर 2018 तक हो जाएगा लेकिन संबंधित फाइलों का कैग ने अब तक परीक्षण नहीं किया है. पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि टू जी, कोयला, आदर्श, राष्ट्रमंडल खेल घोटाले पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट से तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्यों के बारे में जनधारणा प्रभावित हुई थी और विभिन्न हलकों से इसे सराहना मिली थी.

उन्होंने कहा है, ‘‘लेकिन, ऐसी धारणा बनाने का आधार बढ़ रहा है कि कैग मई 2019 के चुनाव के पहले नोटबंदी और राफेल सौदे पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में जानबूझकर देरी कर रहा है ताकि मौजूदा सरकार की किरकिरी नहीं हो.''

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×