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PSE के बनाए 72% स्कूल टॉयलेट में पानी की सुविधा नहीं: CAG रिपोर्ट

करीब 30 फीसदी इस्तेमाल में ही नहीं है

Published
भारत
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सरकारी स्कूलों में 7 सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज ने जो करीब 72 फीसदी टॉयलेट बनाए हैं, उनमें पानी की सुविधा नहीं है. वहीं, करीब 55 फीसदी टॉयलेट में हाथ धोने की भी सुविधा नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये सब जानकारियां कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) के एक सर्वे में सामने आई हैं.

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2019 में कराए गए इस सर्वे के मुताबिक, NTPC, PGCIL, NHPC, PFC, REC, ONGC और CIL जैसे 53 सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज में से 7 ने जो करीब 30 फीसदी टॉयलेट बनाए हैं, उनमें साबुन या डिसइंफेक्टेंट नहीं हैं. करीब 30 फीसदी इस्तेमाल में ही नहीं है.

चिंता क्यों होनी चाहिए?

हालांकि, सर्वे 2019 में कराया गया था, लेकिन ये सामने ऐसे समय में आया है जब सरकार ने क्लास 9 से 12 के बच्चों के लिए 21 सितंबर से स्कूल आंशिक रूप से खोलने की इजाजत दी है.

स्कूलों को कोरोना वायरस महामारी की वजह से बच्चों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाने हैं. इस सब के बीच ये रिपोर्ट कई स्कूलों में मौजूद टॉयलेट में 'खराब' सैनिटेशन फैसिलिटी को उजागर करती है.

इसके अलावा, पांच राज्यों में एक ऑक्सफेम इंडिया सर्वे में पाया गया कि करीब 43 फीसदी सरकारी स्कूल टीचरों का मानना है कि ‘उनके स्कूलों में हाथ धोने की फैसिलिटी सुरक्षित और साफ रहने के लिए पर्याप्त नहीं है.’ 
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बैकड्रॉप

अगस्त 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के कॉर्पोरेट से सभी स्कूलों में 2015 के अंत तक लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट बनवाने में मदद की अपील की थी.

इसके बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों से अपील की थी कि वो अपने तहत आने वाले सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज के जरिए सरकारी स्कूलों में टॉयलेट बनाने की संभावना को तलाशें.

सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज के बनाए हुए 1,40,997 टॉयलेट में से करीब 1.3 लाख NTPC, PGCIL, NHPC, PFC, REC, ONGC और CIL ने बनाए हैं. इनकी लागत 2,162.6 करोड़ रुपये रही है. सर्वे में इन्हीं 1.3 लाख टॉयलेट पर फोकस किया गया और 15 राज्यों के 2,695 टॉयलेट का ऑडिट हुआ.  

सर्वे में क्या मिला?

  • 2,612 टॉयलेट में से 200 मिले ही नहीं और 86 आंशिक रूप से बने हुए मिले.
  • 1,967 स्कूलों में से 99 में काम करते हुए टॉयलेट नहीं थे और 463 में सिर्फ एक टॉयलेट था.
  • बने हुए 2,326 टॉयलेट में से 691 टॉयलेट पानी की कमी, क्षति, लॉक-अप की वजह से ऑपरेशनल नहीं हैं.
  • कोल इंडिया लिमिटेड ने जो 1,119 टॉयलेट बनाए हैं, उनमें से 14 फीसदी या तो नहीं बने या आंशिक रूप से बने हैं.
  • NTPC के बनाए हुए 17 फीसदी टॉयलेट मिले ही नहीं या आंशिक रूप से बने मिले.

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