प्रधानमंत्री उज्ज्वाला योजना को लेकर कैग ने कुछ खुलासे किए हैं. कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने अपने 90% लक्ष्यों को हासिल किया है, जिसके जरिए 8 करोड़ लोगों को खाना बनाने के लिए साफ ईंधन मिला है. लेकिन इस योजना का फायदा लेने वाले लोग इस सिलेंडर को बदल नहीं रहे हैं. मतलब एक सिलेंडर के इस्तेमाल होने के बाद सिलेंडर रीफिल नहीं करा रहे हैं.
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें एक दिन में करीब 40 सिलेंडर ज्यादा इस्तेमाल होने की बात आई है और ये संदेह पैदा करता है.
रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कनेक्शन को लेकर जो टारगेट थे वो हासिल कर लिए गए हैं. इस योजना के तहत जो लाभार्थी सिलेंडर को रीफिल नहीं करा रहे हैं या कम कर रहा रहे हैं उनको इसका लगातार इस्तेमाल किए जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
मार्च 2018 तक इस योजना के तहत एक साल पूरा करने वाले लाभार्थियों की बात करें तो 1.9 करोड़ लाभार्थियों का सालाना एवरेज रीफिल कंज्म्पशन सिर्फ 3.66 सिलेंडर है. इसी तरह का विश्लेषण जब दिसंबर 2018 में किया गया तो 3.8 करोड़ लोगों का सालाना औसत रीफिल कंज्म्पशन गिरकर 3.21 सिलेंडर हो गया.
सिलेंडर की गैर कानूनी बिक्री पर लगे रोक
रिपोर्ट बताती है कि रीफिल सिलेंडर का इस्तेमाल कम करने वाले करीब 90 लाख लोगों के 1234.7 करोड़ रुपये के लोन की रिकवरी फंसी हुई है. रिपोर्ट में सब्सिडी वाले सिलेंडर को गैर कानूनी रूप से किसी और को दिए जाने का भी अंदेशा जताया गया है, रिपोर्ट के मुताबिक, एक ही दिन में 40-2 सिलेंडर रीफिल कराने के 3,44,000 मामले सामने आए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे मामले जिनमें ज्यादा खपत हो रही है उनकी जांच कि जानी चाहिए कि वो गैर कानूनी रूप से कालाबाजारी में इस्तेमाल नहीं किए जा रहे. कैग की इस रिपोर्ट में कुकिंग गैस के सेफ्टी नॉर्म्स पर भी सवाल उठाए गए हैं.
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