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CBSE की सफाई-सिर्फ सत्र 2020-21 के लिए कम किया गया सिलेबस

CBSE ने क्लास 9 से 12 के अकैडमिक ईयर का सिलेबस कम किया है, जिसमें ये चैप्टर्स हटाए गए हैं.

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भारत
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पहले खबर आई कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सिलेबस से लोकतांत्रिक अधिकार और धर्मनिरपेक्षता जैसे चैप्टर्स को हटा दिया है. CBSE ने क्लास 9 से 12 के अकैडमिक ईयर का सिलेबस कम किया है, जिसमें ये चैप्टर्स हटाए गए हैं.

इस फैसले पर सोशल मीडिया से लेकर सियासत तक के लोग सवाल उठाने लगे. ऐसे में अब CBSE की तरफ से सफाई जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि ऐसा सिर्फ 2020-21 सत्र के लिए किया गया है. 2020-21 की परीक्षाओं में इन टॉपिक से जुड़े सवाल पूछे नहीं जाएंगे. साथ ही स्कूलों को ये निर्देश दिया गया था कि NCERT की तरफ से जारी अल्टरनेटिव अकेडमिक कैलेंडर का पालन किया जाए और ये सभी चैप्टर कवर किए गए हैं.

हमने ये पाया है कि मीडिया के एक सेक्शन ने 9वीं से 12वीं तक के सिलेबस को कम करने के नोटिफिकेशन को अलग तरीके से पेश किया है. जिसे हम स्पष्ट करना चाहते हैं.
CBSE
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CBSE की तरफ से जारी बयान की खास बातें

  • 30 फीसदी सिलेबस को कम करने का मकसद है कि हेल्थ इमरजेंसी वाले इस दौर में छात्रों पर दबाव कम किया जा सके.
  • जो सिलेबस कम किए गए हैं वो सिर्फ 2020-21 सत्र के लिए मान्य हैं. परीक्षा में इनसे जुड़े सवाल नहीं पूछे जाएंगे.
  • NCERT की तरफ से जारी अल्टरनेटिव अकेडमिक कैलेंडर का स्कूलों को पालन करने के निर्देश दिए गए थे. ऐसे में सभी टॉपिक कवर हैं.

क्या-क्या हटाया गया है?

बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड हुए डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, CBSE ने अलग-अलग सबजेक्टस से नागरिकता, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, विभाजन और लोकतांत्रिक अधिकार जैसे चैप्टर्स हटा दिए हैं.

क्लास 9 में सोशल साइंस से हटाए गए पांच चैप्टर्स में लोकतांत्रिक अधिकार भी हैं. बोर्ड का कहना है कि इसे पूरी तरह से डिलीट कर दिया गया है. इसके अलावा, 10वीं कक्षा के सोशल साइंस सबजेक्ट से लोकतंत्र और विविधता, जेंडर, धर्म और जाति, संघर्ष और आंदोलन, और वन और वन्य जीवन जैसे चैप्टर्स हटाए गए हैं. 11वीं कक्षा में, किसान, जमींदार और राज्य, बंटवारे, विभाजन और देश में विद्रोह पर सेक्शन- 'द बॉम्बे डेक्कन' और 'द डेक्कन रायट्स कमिशन', जो कि साहूकारों के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर आधारित हैं, को हटा दिया गया है.

विपक्षी नेताओं ने जताया विरोध

ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने इस मामले को लेकर कहा कि वो इस फैसले का विरोध करती हैं. उन्होंने कहा,

“ये बात सुनकर काफी हैरान हूं कि केंद्र सरकार ने नागरिकता, धर्मनिरपेक्षता जैसे टॉपिक को सीबीएसई सिलेबस में कटौती के नाम पर हटा दिया है. हम सीबीएसई के महत्वपूर्ण टॉपिक्स को हटाने के फैसले का विरोध करते हैं. मानव संसाधन मंत्रालय को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे जरूरी पाठ्यक्रम पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए.”
ममता बनर्जी

शशि थरूर

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस मामले पर लगातार तीन ट्वीट किए. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार को लगता है कि ये टॉपिक आज की जनरेशन के लिए सबसे बुरे हैं? थरूर ने ट्विटर पर लिखा,

“सीबीएसई छात्रों का बोझ कम करने के लिए उन्होंने क्या-क्या डिलीट किया वो मैंने देखा. तो जो बच्चे 10वीं क्लास में पढ़ रहे हैं वो अब लोकतंत्र और उसकी विविधता, धर्म, जाति, आंदोलनों आदि को नहीं पढ़ पाएंगे. केंद्र ने लोकतंत्र की चुनौतियों को भी हटा दिया है. 11वीं और 12वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र, जो आगे चलकर वोटर बनेंगे उन्हें अब विभाजन, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता और पड़ोसी देशों से संबंधों के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा. जो काफी महत्वपूर्ण विषय हैं. जिन लोगों ने इन विषयों को हटाने का फैसला किया है उनके इरादों पर शक होता है. क्या उन्होंने ये सोच लिया है कि लोकतंत्र, विविधता, धर्मनिर्पेक्षता जैसे मुद्दे कल की जनरेशन के लिए ठीक नहीं हैं? मैं सरकार से अपील करता हूं कि सिलेबस को तर्कसंगत बनाया जाए.”
शशि थरूर

जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे को लेकर ट्वीट किया. उन्होंने इसे लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा,

“लोकतांत्रिक अधिकार, धर्मनिरपेक्षता सहित अन्य चैप्टर्स को स्कूल कोर्स से हटा दिया गया है. एक ऐसे शासन जिसका नेतृत्व वो शख्स करता हो जो खुद को राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट होने का दावा करता हो उससे बाकी उम्मीद भी क्या की जा सकती है. स्वघोषित संविधान भक्तों का ये पाखंड चौंकाने वाला है.”
जयराम रमेश

सोशल मीडिया पर भी इस फैसले को लेकर अलग-अलग तरह के रियक्शन देखने को मिल रहे हैं.

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