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‘टैक्स टेरर’ के शिकार हुए ‘कैफे कॉफी डे’ के वीजी सिद्धार्थ?

आयकर विभाग की इस कार्रवाई के बाद बढ़ी थीं सिद्धार्थ की मुश्किलें

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भारत
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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

कैफे कॉफी डे (CCD) के फाउंडर वीजी सिद्धार्थ 29 जुलाई की रात से लापता हैं. लापता होने से पहले सिद्धार्थ ने अपने कर्मचारियों को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने कहा कि वो हार गए हैं. इसके साथ ही आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा 'उत्पीड़न' की बात लिखी है.

सिद्धार्थ की चिट्ठी से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. मसलन आयकर विभाग ने सिद्धार्थ पर क्या कार्रवाई की थी? जिस CCD के भारत में 1500 से ज्यादा कैफे हैं, उसके मालिक ने हार मानने की बात क्यों लिखी?

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आयकर विभाग की इस कार्रवाई के बाद बढ़ी थीं सिद्धार्थ की मुश्किलें

आयकर विभाग ने 'टैक्स अनियमितता' के मामले में साल 2017 में वीजी सिद्धार्थ से जुड़े 20 जगहों पर छापेमारी की थी. यहीं से सिद्धार्थ की परेशानियां बढ़नी शुरू हो गईं.

जनवरी 2019 में आयकर विभाग ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी फर्म माइंडट्री के 74.9 लाख (665 करोड़ रुपये के) शेयर अटैच कर दिए थे. इन शेयरों में से 22.20 लाख शेयर CCD के थे, जबकि 52.70 लाख शेयर इसके प्रमोटर सिद्धार्थ के थे. 

फरवरी 2019 में आयकर विभाग ने माइंडट्री के 74.9 लाख शेयर रिलीज कर दिए, लेकिन CCD में सिद्धार्थ के 46.01 लाख शेयर अटैच कर दिए.

इस घटनाक्रम के बारे में सिद्धार्थ की चिट्ठी में लिखा है, ‘’इनकम टैक्स के एक पूर्व डीजी ने भी हमारी ‘माइंडट्री’ डील को रोकने के लिए दो अलग-अलग मौकों पर हमारे शेयर अटैच किए. उसके बाद हमारे कॉफी डे शेयर्स को भी अटैच कर दिया गया. जबकि हमने अपना संशोधित बकाया फाइल कर दिया था. ये नाजायज था जिससे हमारे सामने पैसे की बड़ी किल्लत खड़ी हो गई.’’

उधार चुकाया फिर भी 3000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज

मार्च 2019 में सिद्धार्थ ने सॉफ्टवेयर सर्विस कंपनी माइंडट्री लिमिटेड में अपनी 20.32 हिस्सेदारी 3200 करोड़ रुपये में L&T को बेच दी. इस डील ने सिद्धार्थ को CCD की होल्डिंग कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज के कर्ज का एक हिस्सा चुकाने में मदद की. हालांकि, इसके बाद भी 31 मार्च 2019 को कॉफी डे एंटरप्राइजेज के ऊपर 3,323.8 रुपये का कर्ज था. ऐसे में कई रिपोर्ट्स आईं कि कैफे डे ग्रुप करीब 10,000 करोड़ रुपये की अपनी इक्विटी बेचने के लिए कोका-कोला के संपर्क में है.

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फूटा लोगों का गुस्सा

सिद्धार्थ के मामले पर CNBC-TV18 News ने द प्रिंट के फाउंडर और एडिटर इन चीफ शेखर गुप्ता से बातचीत की. इस दौरान शेखर ने कारोबारियों पर आयकर विभाग की कार्रवाई को लेकर कहा

बहुत से मामले कोर्ट में लटके रहते हैं. कई वित्तीय मामलों का आपराधिकरण कर दिया गया है. जो अच्छा संकेत नहीं है. टैक्स अथॉरिटीज काफी कठोर तरीके से काम कर रही हैं. कई बार लोगों की साख को भी धक्का लगता है. कारोबारियों के सामने जो मुसीबतें आ रही हैं, वे उनका सामना नहीं करना चाहते.’’
शेखर गुप्ता, द प्रिंट

बायकॉन की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर किरण मजूमदार शॉ ने सिद्धार्थ की चिट्ठी को लेकर लिखा, ''इससे लगता है कि प्राइवेट इक्विटी फंड मैनेजर ने एक साहूकार की तरह बर्ताव किया. लगता है कि उसने असहनीय तनाव पैदा किया. इस मामले में जांच की जरूरत है.''

उन्होंने सिद्धार्थ को टैक्स अधिकारियों द्वारा परेशान किए जाने को लेकर एक मीडिया रिपोर्ट को शेयर करते हुए लिखा, ये सच में एक चौंका देने वाला केस है, स्टारबक्स से पहले देश में कॉपी कैफे बिजनेस शुरू करने वाले एक कारोबारी का दुखद अंत है.

इसके अलावा सिद्धार्थ के मामले पर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखनी को मिल रही हैं. बहुत से लोग भारत में कारोबार के माहौल पर भी सवाल उठा रहे हैं.

ट्विटर यूजर अनीश का कहना है कि वीजी सिद्धार्थ का केस देश में एंटरप्रेन्योर्स के साथ हो रहे भेदभाव का क्लासिक केस है. एक कारोबार को जीरो से खड़ा करना, वेल्थ, जॉब और ब्रांड क्रिएट करना... जो हर एक भारतीय चाहता है...लेकिन उसके साथ होता क्या है...एक थैंकलेस सोसाइटी और एंटी बिजनेस सरकार सब जीरो बना देती है. ये नए-नए एंटरप्रेन्योर्स के लिए एक सबक है.

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