चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि पिछले साल गलवान घाटी और बाकी जगहों पर भारतीय सेना के साथ हुई झड़प के बाद, चीनी सेना को समझ आया है कि उसे बेहतर ट्रेनिंग और तैयारी की जरूरत है.
CDS रावत ने कहा कि चीनी सैनिकों को मुख्य रूप से छोटी अवधि के लिए भर्ती किया जाता है और उन्हें हिमालय के पहाड़ी इलाकों में लड़ने का ज्यादा अनुभव नहीं होता.
जब जनरल रावत से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की ताजा गतिविधि के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ''भारत के साथ वाली सीमा पर चीनी तैनाती में बदलाव आया है, खासकर मई और जून 2020 में गलवान और दूसरे इलाकों में हुई घटनाओं के बाद. इसके बाद, उन्हें समझ आया कि उन्हें बेहतर ट्रेनिंग और बेहतर तरीके से तैयार होने की जरूरत है.''
बता दें कि पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीन इस झड़प में मारे गए अपने सैनिकों की संख्या छिपाता रहा और फरवरी में उसने आधिकारिक रूप से कहा कि उसके पांच सैनिक मारे गए थे. हालांकि माना यह जाता है कि झड़प में इससे कहीं ज्यादा चीनी सैनिक हताहत हुए थे. अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट में यह संख्या 35 बताई गई थी.
CDS रावत ने कहा, ''तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र एक कठिन क्षेत्र है. यह एक पहाड़ी क्षेत्र है. इसके लिए आपको विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होती है, जिसमें हमारे सैनिक बहुत कुशल होते हैं क्योंकि हमारे पास पर्वतीय युद्ध का बहुत प्रशिक्षण होता है. हम पहाड़ों में काम करते हैं और लगातार अपनी मौजूदगी बनाए रखते हैं.''
इसके आगे उन्होंने कहा, ''जबकि चीनियों के लिए ऐसा नहीं है. यह उस ट्रेनिंग का हिस्सा है जिसे वे कर रहे हैं. हमें चीनी सेना की सभी गतिविधियों पर नजर रखनी है. ऐसा करने के लिए, हमें LAC पर मौजूदगी बनाए रखनी होगी.''
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